जो ख़्वाब रात में आँखें निचोड़ जाता

मुझे वो दिन के उजाले में क्यों नहीं दिखता,
जो ख़्वाब रात में आँखें निचोड़ जाता है,
मेरी नज़र को सलीके से मोड़ जाता है,
मेरा वजूद वो ऐसे झंझोड़ जाता है⇙⇙⇙⇙

टिप्पणियाँ