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शनिवार, मई 13, 2017

जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं

जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते;
जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं;
बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी;
अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं↘↘

मंगलवार, अप्रैल 18, 2017

रात की गहराई आँखों में उतर आई

रात की गहराई आँखों में उतर आई,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई↺↺↺↺