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इश्क Hindi Shayari New2017
- तेरा अक्स गढ़ गया है~ आँखों में कुछ ऐसा,
- सामने खुदा भी हो तो दिखता है हू-ब-हू तुझ जैसा।
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- मुझ से रूठकर वो खुश है ~तो शिकायत ही कैसी,
- अब मैं उनको खुश भी ना देखूं तो हमारी मोहब्बत ही कैसी।
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- तुझे कोई और भी चाहे~ इस बात से दिल थोड़ा जलता है,
- पर फखर है मुझे इस बात पर कि हर कोई मेरी पसंद पे ही मरता है।
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- हाल तो पूछ लू ते~रा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी,
- ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।
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- तू होश में थी फिर भी~ हमें पहचान न पायी,
- एक हम हैं कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे।
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- ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाता हूँ,
- मुझे तुम से मोहब्ब~त है बताना भूल जाता हूँ,
- तेरी गलियों में फिरना इतना अच्छा लगता है,
- मैं रास्ता याद रखता हूँ ठिकाना भूल जाता हूँ।
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- अदा है, ख्वाब है, तकसीम है, तमाशा है;
- मेरी इन आँखों में एक शख्स बेतहाशा है।
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- बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये,
- कि वो आज नजरों से हमें अपनी पिलायें;
- मजा तो तब ही पीने ~का यारो,
- इधर हम पियें और नशा उनको हो जाये।
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- मुद्दत के बा~द उसने जो आवाज़ दी मुझे,
- कदमों की क्या बिसात थी, साँसे ठहर गयीं।
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- मैंने अपने आप को हमेशा बादशाह समझा,
- एहसास तब हुआ जब तुझे माँगा फकीरों की तरह।
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- तेरे जल्वों ने मुझे~ घेर लिया है ऐ दोस्त,
- अब तो तन्हाई के लम्हे भी हसीं लगते हैं।
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- ये न जाने थे कि उस महफ़िल में दिल रह जाएगा,
- हम ये समझे थे चले आएँगे दम भर देख कर।
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- छीनकर हाथों से जाम वो इस अंदाज़ से बोली,
- कमी क्या है इन होठों में जो तुम शराब पीते हो।
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- ये याद है तुम्हारी या यादों में तुम हो,
- ये ख्वाब हैं तुम्हारे या ख्वाबों में तुम हो,
- हम नहीं जानते हमें बस इतना बता दो,
- हम जान हैं तुम्हारी या हमारी जान तुम हो।
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- इश्क़ पर ज़ोर नहीं ~है ये वो आतश ग़ालिब,
- कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
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- मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो,
- मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो,
- दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात,
- मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो।
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- अज़ीज़ इतना ही रखो~ कि जी संभल जाये,
- अब इस कदर भी ना चाहो कि दम निकल जाये।
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- मुझको चाहते होंगे और ~भी बहुत लोग,
- मगर मुझे मोहब्बत सिर्फ अपनी मोहब्बत से है।
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- दूर रह कर भी जो समाया है मेरी रूह में;
- पास वालों पर वो शख्स~ कितना असर रखता होगा।
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- यह मेरा इश्क़ था या ~फिर दीवानगी की इन्तहा,
- कि तेरे ही करीब से गुज़र गए तेरे ही ख्याल से।
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- कर दे इश्क़ में अपने मदहोश तरह कि,
- होश भी आने से पहले इज़ाज़त माँगे।
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- मोहब्बत का को~ई रंग नहीं फिर भी वो रंगीन है,
- प्यार का कोई चेहरा नहीं फिर भी वो हसीन है।
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- होगी कितनी चाहत उस दिल में,
- जो खुद ही मान जाये कुछ पल खफा होने के बाद।
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- मत देखो हमें तुम ~यूँ इस कदर,
- इश्क़ तुम कर बैठोगे और इलज़ाम हम पे लग जायेगा।
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- देख लेते हो मोहब्बत से यही काफी है,
- दिल धड़कता है ~सहूलत से यही काफी है,
- हाल दुनिया के सताए हुए कुछ लोगों का,
- पूछ लेते हो शरारत से यही काफी है।
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- तुम को चाहने की~ वजह कुछ भी नहीं,
- बस इश्क़ की फितरत है बेवजह होना।
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- तुम्हारी आँखों में ब~सा है आशियाना मेरा,
- अगर ज़िन्दा रखना चाहो तो कभी आँसू मत लाना।
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- गुफ्तगू उनसे होती यह ~किस्मत कहाँ,
- ये भी उनका करम है कि वो नज़र तो आये।
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- सजा है मौसम तुम्हारी महक से आज फिर;
- लगता है हवायें तुम्हें छू कर आयी हैं।
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- चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं;
- मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते हैं;
- बच के रहना इन हुस्न वालों से यारो;
- इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं।
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- कौन सी बात है जो उस में नहीं,
- उस को देखे मेरी नज़र से कोई।
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- अगर तुम्हें यकीन नहीं तो कह~ने को कुछ नहीं मेरे पास,
- अगर तुम्हें यकीन हैं तो मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।
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- हम उनके दिल पर राज़ ~करते थे,
- मेरा दिल जिनका गुलाम आज भी है।
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- याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ,
- भूल जाना भी बड़ी बा~त हुआ करती है।
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- जिस को जाना ही न~हीं उस को ख़ुदा कैसे कहें;
- और जिसे जान लिया हो वो ख़ुदा कैसे हो।
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- रोज़ वो ख़्वा~ब में आते हैं गले मिलने को,
- मैं जो सोता हूँ तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी।
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- बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह,
- जी में कहते हैं कि मुफ़्त आए तो माल अच्छा है।
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- कुछ इस अदा से आज वो पहलू-नशीं रहे,
- जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे।
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- उल्टी हो गईं सब त~दबीरें कुछ न दवा ने काम किया,
- देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया।
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- ये तो नहीं कि तुम सा~ जहान में हसीन नहीं,
- इस दिल का क्या करूँ ये बहलता कहीं नहीं।
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- चंद साँसे बची हैं आखिरी बार दीदार दे दो,
- झूठा ही सही एक बार मगर तुम प्यार दे दो,
- जिंदगी वीरान थी ~और मौत भी गुमनाम ना हो,
- मुझे गले लगा लो फिर मौत मुझे हजार दे दो।
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- सौ बार कहा दिल से चल भूल भी जा उसको,
- सौ बार कहा दिल ने तुम दिल से नहीं कहते।
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- इंतज़ार मेरी उम्र से लंबा हो शायद,
- तेरा आना इस मर्ज़ की दवा हो शायद।
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- इत्तेफ़ाक़ से ही सही मगर मुलाकात हो गयी;
- ढूंढ रहे थे हम जिन्हें आखिर उन से बात हो गयी;
- देखते ही उन को ~जाने कहाँ खो गए हम;
- बस यूँ समझो दोस्तो वहीं से हमारे प्यार की शुरुआत हो गयी।
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- तेरे बिना टूट कर बि~खर जायेंगे;
- तुम मिल गए तो गुलशन की तरह खिल जायेंगे;
- तुम ना मिले तो जीते जी ही मर जायेंगे;
- तुम्हें जो पा लिया तो मर कर भी जी जायेंगे।
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- फ़िज़ा की महकती शाम हो तुम,
- प्यार में छलकता~ जाम हो तुम,
- सीने में छुपाये फिरता हूँ यादें तुम्हारी,
- इसलिए मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम!
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- जब से मुँह को लग गई अख़्तर मोहब्बत की शराब,
- बे-पिए आठों पहर मदहोश रहना आ गया।
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- उस की बाहों में सोने का अभी तक शौंक है मुझको,
- मोहब्बत में उजड़ कर भी मेरी आदत नहीं बदली।
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- कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़,
- कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी।
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- धडकनों को कुछ तो काबू ~में कर ए दिल,
- अभी तो पलकें झुकाई हैं मुस्कुराना अभी बाकी है उनका।
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- मोहब्बत मुझे थे उसी से सनम,
- यादों में उसकी यह दि~ल तड़पता रहा,
- मौत भी मेरी चाहत को न रोक सकी,
- क़ब्र में भी यह दिल उसके लिए धड़कता रहा।
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- अब तक ख़बर न थी~ कि मोहब्बत गुनाह है;
- अब जान कर गुनाह किए जा रहा हूँ मैं।
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- लिखा था राशि~ में आज खज़ाना मिल सकता है,
- कि अचानक गली में सनम पुराना दिख गया।
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- कोई समझे तो एक बात कहूँ,
- इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं।
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- तोहमतेँ तो लगती रही रोज़ नयी नयी हम पर,
- मगर जो सबसे हसीन इलज़ाम था वो तेरा नाम था।
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- आदत सी हो गयी है तेरे क~रीब रहने की,
- बस इतना बता तेरी साँसों की खुशबू वाला इत्र मिलेगा कहाँ!
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- तुम हमें कभी दिल कभी आँ~खों से पुकारो,
- ये होंठो के तकल्लुफ तो ज़माने के लिए हैं।
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- सूरज ढलते ही रख दि~ये उसने मेरे होठों पर होंठ,
- इश्क का रोज़ा था और गज़ब की इफ्तारी।
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- दिल को तेरी~ चाहत पे भरोसा भी बहुत है,
- और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता।
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- नहीं है अब कोई तमन्ना इस दिल में,
- मेरी पहली और आखिरी जुस्तजू बस तुम हो।
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- नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
- तुझे देखना और देखते रहना~ दस्तूर बन गया है।
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- उसे कह दो अपनी ख़ास ~हिफाज़त किया करे,
- बेशक साँसें उसकी हैं मगर जान तो वो हमारी है।
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- दिल से हर मामला ~कर के चले थे साफ़ हम,
- कहने में उनके सामने बात बदल गयी।
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- दिल अपने को एक मंदिर बना रखा है,
- उस के अंदर बस तुझ को बसा रखा है,
- रखता हूँ तेरी चाहत की तमन्ना रात दिन,
- तेरे आने की उम्मीद का ~दिया जला रखा है।
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- अब आ गए हैं आप तो आता नहीं है याद;
- वर्ना कुछ हम को ~आप से कहना ज़रूर था।
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- किसी की क्या मज़ाल थी ~जो कोई हमें खरीद सकता;
- हम तो खुद ही बिक गए खरीददार देख कर।
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- अभी कम-सिन हो रहने दो कहीं खो दोगे दिल मेरा;
- तुम्हारे ही लिए र~खा है ले लेना जवाँ हो कर।
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- ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना;
- बन गया रक़ी~ब आख़िर था जो राज़-दाँ अपना।
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- दिल में आप हो और कोई खास कैसे होगा;
- यादों में आपके सिवा कोई पास कैसे होगा;
- हिचकियॉं कहती हैं आप याद करते हो;
- पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा।
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- क्या अच्छा क्या बुरा क्या भला देखा;
- जब भी देखा तुझे अपने ~रु ब रु देखा;
- सोचा बहुत भूल कर ना सोचूंगा तुझे;
- जिस रात आँख लगी फिर तुझे हर ख्वाब में देखा।
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- आहिस्ता आहिस्ता~ आपका यकीन करने लगे हैं;
- आहिस्ता आहिस्ता आपके करीब आने लगे हैं;
- दिल तो देने से घबराते हैं मगर;
- आहिस्ता आहिस्ता आपके दिल की कदर करने लगे हैं।
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- कल तेरा जि~क्र हुआ महफ़िल में,
- और महफ़िल देर तक महकती रही।
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- ऐ काश कुदरत का कहीं ये नियम हुआ करे,
- तुझे देखने के सिवा ना मु~झे कोई काम हुआ करे।
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- मुझसे नफरत ही करनी ~है तो इरादे मजबूत रखना;
- जरा से भी चूक हुई तो मोहब्बत हो जायेगी।
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- उनके लबो पर देखो फि~र आज मेरा नाम आया है;
- लेकर नाम मेरा देखो महबूब आज कितना शरमाया है;
- पूछे मेरी ये आँखे उनसे कि कि~तनी मोहब्बत है मुझसे;
- बोले वो पलके झुका कि मेरी हर साँस में बस तू ही समाया है।
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- मैं जो चाहूँ तो अभी तोड़ लूँ नाता तुम से;
- पर मैं बुझ-दिल हूँ मुझे ~मौत से डर लगता है।
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- हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका;
- मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया।
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- हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी;
- ज़ब ज़ब सु~नी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।
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- मुझे याद करने ~से ये मुद्दा था;
- निकल जाए दम हिचकियाँ आते आते।
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- जब पास हों तो रुख से निगाहें ना मोड़ना;
- जब दूर हों तो मेरा तस्सावुर न छोड़ना;
- सोच लेना दिल लगाने से पहले एक बार;
- मुश्किल बहुत~ है निभाने रिश्ते,
- भूल कर भी कभी इनकी ज़ंजीरें ना तोडना।
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- आँखों में देख कर वो दिल की हकीकत जानने लगे;
- उनसे कोई रिश्ता भी नहीं फिर भी अपना मानने लगे;
- बन कर हमदर्द कुछ ऐसे उन्होंने हाथ थामा मेरा;
- कि हम खुदा से द~र्द की दुआ मांगने लगे।
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- वादा करके और भी आ~फ़त में डाला आपने;
- ज़िन्दगी मुश्किल थी, अब मरना भी मुश्किल हो गया।
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- इश्क़ है इश्क़ ये मज़ाक़ नहीं;
- चंद लम्हों में फ़ैसला न करो।
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- देख मेरी आँखों में ख्वाब किसके हैं;
- दिल में मेरे सुलगते तूफ़ान किसके हैं;
- नहीं गुज़रा कोई आज त~क इस रास्ते से हो कर;
- फिर ये क़दमों के निशान किसके हैं।
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- ना छोड़ना मेरा साथ ज़िन्द~गी में कभी;
- शायद मैं ज़िंदा हूँ तेरे साथ की वजह से।
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- उसे मैं ढाँप लेना चाहता~ हूँ अपनी पलकों में;
- इलाही उस के आने तक मेरी आँखों में दम रखना।
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- आँखों की गहराई को समझ नहीं सकते;
- होंठों से हम कुछ कह~ नहीं सकते;
- कैसे बयाँ करें हम यह हाल-ए-दिल आपको;
- कि तुम्हीं हो जिसके बगैर हम रह नहीं सकते।
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- बहुत वक़्त लगा हमें आप तक आने में;
- बहुत फरियाद की खुदा से आपको पाने में;
- कभी यह दिल ~तोड़ कर मत जाना;
- हमने उम्र लगा दी आप जैसा सनम पाने में।
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- कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीम-कश को;
- ये ख़लिश कहाँ ~से होती जो जिगर के पार होता।
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- तेरी चुप्पी अगर तेरी ~कोई मज़बूरी है;
- तो रहने दे इश्क़ कौन सा ज़रूरी है।
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