manzil mil jayegi shayari best new2017


  1. जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है 
  2. आँखों ने अभी मील का ~पत्थर नहीं देखा

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  5. #मैं अकेला ही चला था जानिबे-मंजिल, मगर
  6. लोग साथ आते गए और का~रवां बनता गया

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  8. #हम खुद तराशते हैं मंजिल~ के संग ए मील 
  9. हम वो नहीं हैं जिन को ज़माना बना गया

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  11. #मंजिलें सब का मुकद्दर हों, यह ज़रूरी तो नहीं 
  12. खो भी जाते हैं, नयी राहों पर~ चलने वाले

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  14. #पहुँचे जिस वक़्त मंज़िल~ पे तब ये जाना
  15. ज़िन्दगी रास्तों में बसर हो गई

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  17. #रफ़्ता-रफ़्ता मेरी जानिब, मंज़िल बढ़ती आती है,
  18. चुपके-चुपके मेरे हक़ में, कौ~न दुआएं करता है।

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  20. 3हूँ चल रहा उस राह पर जिसकी कोई मंज़िल नहीं
  21. है जुस्तजू उस शख़्स ~की जो कभी हासिल नहीं

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  23. #नहीं निगाह मे मंज़ि~ल तो जुस्तजू ही सही 
  24. नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही

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