- मरने की दुआएं क्या मां~गूं जीने की तमन्ना कौन करे
- ये दुनिया हो या वो दुनिया , अब ख्वाहिशे दुनिया कौन करे
- जब कश्ती साबित-ओ-सालिम थी साहिल का तमन्ना किसको थी
- अब ऐसी शिकस्ता किश्ती से साहिल की तमन्ना कौन करे
- जो आग लगाई थी तुमने उसको तो बुझाया अश्कों ने
- जो अश्कों ने भड़काई थी उस आग को ठंडा कौन करे
- दुनिया ने हमें छोड़ा ‘~जज़्बी’ हम छोड़ न दें क्यों दुनिया को
- दुनिया को समझ कर बैठे हैं अब दुनिया दुनिया कौन करे
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- ऐ मौजे बाला उनको भी ज़रा दो-चार थपेड़े हलके से
- कुछ लोग अभी तक साहिल से तूफां का नज़ारा करते हैं
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- अपनी सोई हुई दुनिया को जगा लूँ तो चलूँ
- अपने ग़मखाने में एक धूम मचा लूँ तो चलूँ
- और इक जाम-ए-म~य-ए- तल्ख़ चढ़ा लूँ तो चलूँ
- अभी चलता हूँ ज़रा खुद को संभालूं तो चलूँ
- जाने कब पी थी अभी तक ~है मय-ए- ग़म का खुमार
- धुंधला - धुंधला नज़र आता है जहाँन - ए - बेदार
- आंधियां चलती हैं दुनिया हुई जाती है ग़ुबार
- आँख तो मल लूँ ज़रा होश में आ लूँ तो चलूँ
- वो मेरा सहर वो एजाज़ कहाँ है लाना
- मेरी खोई हुई आवाज़ कहाँ है लाना
- मेरा टूटा ~हुआ वो साज़ कहाँ है लाना
- इक ज़रा गीत भी इस साज़ पे गा लूँ तो चलूँ
- मै थका हारा था इतने में जो आये बादल
- एक दीवाने ने चुपके से बढ़ा दी बोतल
- उफ़ ! वो रंगीन, पुरइसरार ख्यालों के महल
- ऐसे दो – चार महल और बना लूँ तो चलूँ
- मुझसे कुछ कहने को आई है मेरे दिल की जलन
- क्या किया मैंने ज़माने में नहीं जिसका चलन
- आंसुओं तुमने तो ~बेकार भिगोया दामन
- अपने भीगे हुए दामन को सुखा लूँ तो चलूँ
- मेरे आँखों में अभी तक है मुहब्बत का ग़ुरूर
- मेरे होंठों में अभी तक है सदाक़त का ग़ुरूर
- मेरे माथे पे अभी तक~ है शराफत का ग़ुरूर
- ऐसे वहमों से अभी खुद को निकलूं तो चलूँ.
- ........................................
- याद है, एक दिन
- मेरे मेज पे बैठे-बैठे
- सिगरेट की डिबिया पर तुमने
- छोटे-से इस पौधे का
- एक स्केच ब~नाया था!
- आकर देखो,
- उस पौधे पर फूल आया है!
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- हमने देखी है इन आंखों की महकती खुशबू
- हाथ से छूके इ~से रिश्तों का इलजाम ना दो
- सिर्फ अहसास है ये रूह से महसूस करो-
- ...............................
- मैं कायनात में, सय्यारों से भटकता था
- धुएं में, धूल में उलझी हुई किरण की तरह
- मैं इस जमीं पे भट~कता रहा हूं सदियों तक
- गिरा है वक्त से कट के जो लम्हा, उसकी तरह
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