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dua shayari in hindi for girlfriend2017
- Juda Honay Ka Andes~ha juda hony se pehle tha,
- Wo mujh se intehai khush khafa hone se pehle tha,
- Main kese soch sakta tha mujhy wo chor jayega,
- Bohat hi ba’wafa wo bewafa hone se pehle tha.
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- Badi Bechaini Basti H~ai, Kabhi Milne Chale Aao,
- Yeh Duniya Mujh Pe Hansti Hai, Kabhi Milne Chale Aao,
- Koi Bhi Pal Nahin Guzaa~ra, Jo Ho Teri Yaad Se Khaali,
- Tanhaayi Mujhko Dasti Hai, Kabhi Milne Chale Aao
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- Guzre dinon ki bhuli hui baat ki tarha,
- Ankhon me jagta hai koi rat ki tarah,
- Us se umeed thi ke n~ibhayega sath mera,
- Magar wo bhi badal gaya mere halaat ki tarah
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- Sadiyon Se Jaagi Aankhon Ko Ek Baar Sulane Aa Jao;
- Mana Ki Tumko P~yar Nahi, Nafrat hi Jatane Aa Jao;
- Jis Mod Pe Humko Chhod Gaye, hum Baithe Ab Tak Soch Rahe;
- Kya Bhool Hui Kyon Juda Hue, Bas Yeh Samjhane Aa Jao.
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- Toot Ker Chaha Jise Wo Laut Kar Aaya Nahi
- Mere Dil Ko Us K ~Siwa Or Kuch Bhaya Nahi
- Pyar Ki Saudagari Me Hum Barabar Hi Rahe
- Us Ne Kuch Khoya Nahi Or Maine Kuch Paya Nahi
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- Bahut Bikhra Bahut Toota, Thapede Seh Nahi Paaya…
- Hawaaon Ke Ishaaron Par, Magar Main Beh Nahi Paaya…
- Adhoora AnSuna Hi Re~h Gaya Yoon Pyaar Ka Kissa…
- Kabhi Tum Sun Nahi Paaye, Kabhi Main Keh Nahin Paaya…
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- Aansuon Ke Chalne Ki Awaz Nahin Hoti;
- Dil Ke Tootne Ki Aahaat Nahin Hoti;
- Agar Hota Khuda Ko Har Dard Ka Ehsaas;
- To Use Dard Dene Ki Aadat Nehin Hoti!
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- Aapko Bhule Vo ~Nazar Kaha Se Layein;
- Kisi Aur Ko Chahe Vo Jigar Kaha Se Layein;
- Reh Nahi Sakte Aapke Bina;
- Uff Bhi Na Nikl~e Vo Zehar Kaha Se Layein!
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- Aasuoo Ko Palko Me Laya Na Kijiye;
- Dil Ke Baat Har Kisse Ko Bataya Na Kijye;
- Mutthe Me Namak Lekar Gumte Hai Log;
- Aapne Zhkhame Har Kise Ko Dikhaya Na Kijye!
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- Arman Koi Seene Mein Aag Laga Deta Hai;
- Khwab Koi Akar Raaton Ki Neend Uda Deta Hai;
- Punchta Hoon Jisse Bhi Manzil Ka Pata Ab To;
- Vo Rasta Tere Ghar Ka Hi Bata Deta Hai!
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- Dard De Gaye Sitam Bhi De Gaye;
- Zakhm Ke Sath Marham Bhi De Gaye;
- Do Lafzo Se Kar G~aye Apna Mann Halka;
- Aur Humein Kabi Na Rone Ki Kasam De Gaye!
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- तेरे पास भी कम न~हीं, मेरे पास भी बहुत हैं,
- ये परेशानियाँ आजकल फुरसत में बहुत हैं …………
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- मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे ~क़िरदार का फ़ैसला।।
- तेरा वज़ूद मिट जायेगा मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।।
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- कितना कुछ जानता~ होगा वो सख्श मेरे बारे में;
- मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम
- उदास क्यूँ हो ?
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- चूम कर कफ़न में लिपटें मेरे चेहरे को, उसने
- तड़प के कहा….
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- .
- नए कपड़े क्या पहन लिए, हमें देखते
- भी नहीं’…
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- जाते जाते उसने पलटकर इतना ही कहा मुझसे
- मेरी बेवफाई से ही मर जाओगे या मार के जाऊँ”
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- जुल्फों को फैला कर जब को~ई महबूबा किसी आशिक की कब्र पर रोती है …
- तब महसूस होता है कि मौत भी कितनी हसीं होती हे….
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- तेरी मुहब्बत भी किराये के घर की तरह
- थी…..
- कितना भी सजाया पर मेरी नहीं हुई….
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- यहाँ हजारों शायर है जो त~ख़्त बदलने निकले है,
- कुछ मेरे जैसे पागल है जो वक़्त बदलने निकले है,…..
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- नाकाम मोहब्बतें भी बड़े काम की होती हैं
- दिल मिले ना मिले नाम मिल जाता है..!
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- उनके लिए जब हमने भटकना छोड़ दिया,
- याद में उनकी जब तड़पना छोड़ दिया,
- वो रोये ~बहुत आकर तब हमारे पास,
- जब हमारे दिल ने धडकना छोड़ दिया.
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- ” कितनी झुठी होती है, मोहब्बत की कस्मेँ….।”
- देखो तुम भी जिन्दा हो, मैँ भी जिन्दा हूँ….॥
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- वो शायद मतलब से मिलते हैं,
- मुझे तो मिलने से मतलब है.!
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- तुमने कहा था आँख भर के देख लिया करो मुझे,
- मगर अब आँख भर आती है तुम नजर नही आते हो।
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- उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा ???
- दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है !!!
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- हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही खता थी…..
- लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने की खातिर….
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- वो इस तरह मुस्कुरा ~रहे थे , जैसे कोई गम छुपा रहे थे
- बारिश में भीग के आये थे मिलने , शायद वो आंसु छुपा रहे थे
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- आज उसकी एक बात ने मुझे मेरी गलती की यूँ सजा दी…
- छोड़ कर जाते हुए कह गई,
- जब दर्द बर्दाश्त नहीं होता तो मुझ से मोहब्बत क्यूँ की….
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- उसके साथ जीने का इक मौका दे दे, ऐ खुदा..
- तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे..
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- उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
- किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।
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- जब से बा~जी, वफा की हारे हैं.
- दोस्तों, हम भी गम के मारे हैं.
- तुम हमारे सिवा, सभी के हो,
- हम किसी के नहीं, तुम्हारे हैं.
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- मेरे बारे में अपनी सोच को थोड़ा बदलकर देख,
- मुझसे भी बुरे हैं लोग तू घर से निकलकर देख…
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- तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था
- खबर तो रहती….स~फर तय कितना करना है
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- जुबां खुली पर कुछ कह न पाए , आँखों से चाहत जता रहे थे !
- सुबह की चाहत लिए नज़र में , रात नज़र में बिता रहे थे !!
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- मुझे दफनाने से पहले मेरा~ दिल निकाल कर उसे दे देना…
- मैं नही चाहता के वो खेलना छोङ दे…
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- किसी ने ग़ालि~ब से कहा
- सुना है जो शराब पीते हैं उनकी दुआ कुबूल नहीं होती ….
- ग़ालिब बोले: “जिन्हें शराब मिल जाए उन्हें किसी दुआ की ज़रूरत नहीं होती”
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- जो भी आता है एक नयी चोट दे के चला जाता है ए दोस्त,….
- मै मज़बूत बहोत हु लेकिन कोई पत्थर तो नहीं,….
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- वो अपनी ज़िंदगी में हुआ मशरूफ इतना;
- वो किस-किस को भूल गया उसे यह भी याद नहीं।
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- याद आयेगी हमारी तो बीते कल को पलट लेना..
- यूँ ही किसी पन्ने में मुस्कुराते हुए मिल जायेंगे ..
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- पथ्थर समझ के हमें मत ठुकराओ ,
- कल हम मंदिर में भी हो सकते हैं ।
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- “युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के…
- लेकिन लोग…
- वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है..
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- दिल में है जो बात किसी भी तरह कह डालिए
- ज़िन्दगी ही ना बीत जा~ए कहीं बताने मे ….
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- जिस्म का दिल से अ~गर वास्ता नहीं होता !
- क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता !
- वे लोग जायें कहाँ बोलिये खड़े हैं जो ,
- उस हद के बाद जहाँ रास्ता नहीं होता !
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- जुबां पे झूंट जब ~आया उसे मैंने दबा दिया,
- कहा फिर भी नहीं की तू मुझे छोड़ चुकी हे तु
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- रोज़ रोते ~हुए कहती है ये ज़िंदगी मुझसे
- सिर्फ एक शख्स कि खातिर मुझे बर्बाद मत कर ….
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- ए दिल अब तो होश मैं आ…..
- यहाँ तुझे कोई अपना कहता ही नहीं….
- और तू है की खामख्वा किसी का बनने पे तुला है…..
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- किसी को मिल गया मौका, बुलन्दियों को छूने का,
- मेरा नाकाम होना भी किसी के काम तो आया।
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- तु हजार बार भी रूठे तो मना लुगाँ तझे,
- मगर देख, मुहब्बत में शामिल कोई दुसरा न हो।।
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- मौम के पास कभी आग को लाकर देखूँ,
- सोचता हूँ के तुझे हाथ लगा कर देखूँ……
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- दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है,
- सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगा कर देखूँ….
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- चाँद उतरा था हमारे आँगन में,
- ये सि~तारों को गवाँरा ना हुआ,
- हम भी सितारों से क्या गिला करें,
- जब चाँद ही हमारा ना हुआ…
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- भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
- हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
- बात कहके तो कोई~ भी समझलेता है,
- पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है..
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- भूल जाना उसे~ मुश्किल तो नहीं है लेकिन
- काम आसान भी हमसे कहाँ होते हैं!
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- गुज़र गया वो वक़्त जब तेरी हसरत
- थी मुझको,
- अब तू खुदा भी बन जाए तो भी तेरा सजदा ना करूँ…
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- जिंदगी देने वाले , मरता छोड़ गये,
- अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये,
- जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की,
- वो जो साथ चलने वाले, रास्ता मोड़ गये”
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- हालात की दलील देकर उन्होनें साथ छोङ़ा , तो हम आहत नहीं हुए ….,
- सोचा हमसे ना सही , चलो किसी से तो वफ़ा निभाई उन्होने…
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- “ज़िन्दगी ने आज कह दिया है मुझे,
- किसी और से प्यार है,
- मेरी मौत से पूछो,
- अब उसे किस बात का इंतज़ार है.”
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- घर से तो निकले थे हम ख़ुशी की ही तलाश में,
- किस्मत ने ताउम्र का हमैं मुसाफिर बना दिया।
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- उन्हें नफरत हुयी सारे जहाँ से ,
- अब नयी दुनिया लाये कहाँ से…
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- तू मेरे जनाज़े को कन्धा मत देना,
- कही ज़िन्दा ना हो जाऊँ फिर तेरा सहारा देख कर …
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- दीं सदायें जिंदगी ने~ मैं ही सुन पाया नहीं,
- ख्वाब आँखों में बहुत थे कोई बुन पाया नहीं।
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- दिल भी एक जिद पर अड़ा है किसी बच्चे की तरह,
- या तो सब कुछ ही चाहिए या कुछ भी नही…..
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- वो अपने मेहंदी वाले हाथ मुझे दिखा कर रोई,
- अब मैं हुँ~ किसी और की, ये मुझे बता कर रोई,
- पहले कहती थी कि नहीं जी सकती तेरे बिन,
- आज फिर से वो बात दोहरा कर रोई…
- कैसे कर लुँ उसकी महोब्बत पे~ शक यारो…!!
- वो भरी महफिल में मुझे गले लगा कर रोई…
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- “दोस्त ने दोस्त को, दोस्त के लिए रुला दिया,
- क्या हुआ जो कि~सी केलिए उसने हूमें भुला दिया,
- हम तो वैसे भी अकेले थे अच्छा हुआ
- जो उसने हमे एहसास तो दिला दिया.“
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- अगर है दम तो चल डुबा दे मुजको,
- समंदर नाकाम रहा, अब तेरी आँखो की बारी..
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- जब से पता चला है, की मरने का नाम है ‘जींदगी’;
- तब से, कफ़न बांधे का~तील को ढूढ़ते हैं!”
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- तुम जैसा मुझे… कोण? कब???
- कहा?? और कैसे??? मिलेगा ??
- सोचो…
- बताओ…
- वरना मेरे हो जाओ ………
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- रात सारी तड़पते रहेंगे हम अब ,
- आज फिर ख़त तेरे पढ़ लिए शाम को”
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- जिंदगी भर के इम्तिहान के बाद …..
- वो शख्स~
- नतीजे में किसी और का निकला ..
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- मोहब्बत उसे भी बहुत है मुझसे
- जिंदगी सारी इस वहम ने ले ली…
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- “बादशाह तो में कहीं का भी बन सकता हूँ
- पर तेरे दिल की नगरी में हुकूमत करने
- का मज़ा ही कुछ अलग है………”
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- नहीं चाहिए कुछ भी तेरी इश्क़ कि दूकान से,
- हर चीज में मिलावट है बेवफाई कि..
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- काश तुम मौत होती तो………….
- एक दिन मेरी जरूर होती
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- बुला कर तुम ने महफ़िल में हमें ग़ैरों से उठवाया
- हमीं ख़ुद उठ ग~ए होते इशारा कर दिया होता…
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- तूने हसीन से हसीन चेहरो को उदास किया है….
- ए इश्क ….
- तू अगर इन्सान होता तो तेरा पहला कातिल मै होता ।
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- ना आना लेकर उसे मेरे जनाजे में,
- मेरी मो~हब्बत की तौहीन होगी,
- मैं चार लोगो के कंधे पर हूंगा,
- और मेरी जान पैदल होगी.
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- “वो जो हमसे नफरत करते हैं,
- हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं,
- नफरत है ~तो क्या हुआ यारो,
- कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।”
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- हमारे चले जाने के बाद, ये समुंदर भी पूछेगा तुमसे,
- कहा चला गया वो शख्स जो तन्हाई मे आ कर,
- बस तुम्हारा ही नाम लिखा करता था…
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- ना हम रहे दील लगाने के क़ाबील,
- ना दील रहा गम उठाने के क़ाबिल,
- लगा उसकी यादों से जो ज़ख़्म दिल पर,
- ना छोड़ा उस ने मुस्कुराने के क़ाबील.
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- जाते वक़त उसने बड़े गुरुर से कहा था -
- तुझ जेसे लाखो मिलेगे.
- मैंने मुस्कराकर पूछा : मुझ जेसे कि तलाश ही क्यों ?
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- टूटे हुए गिलास में जाम नहीं आता,
- इश्क के ~मरीजों को आराम नहीं आता,
- दिल तोड़ने से पहले सोचा तो होता,
- टुटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता ….
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- हमें ए दिल कहीं ले चल … बड़ा तेरा करम होगा
- हमारे दम से है हर गम …न होंगे हम और ना गम होगा
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- बुलबुल बैठा पेड पर मैने सोचा तोता है।
- यारा तेरे प्या~र मे दिल ये मेरा रोता है।
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- कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ
- कभी ये लगता है अब तक तो कुछ हुआ भी नहीं
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- कुछ लोग मेरी शायरी से सीते हैं अपने जख्म,
- कुछ लोगों को मैं चुभता हूँ सुई की नोक के जैसे
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- एहसान नहीं है जिन्दगी तेरा मुझ पर ,
- मैंने हर सांस की यहाँ कीमत दी है
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- अपनो को दूर होते देखा ,
- सपनो को चूर~ होते देखा
- अरे लोग कहते हैँ की फूल कभी रोते नही ,
- हमने फूलोँ को भी तन्हाइयोँ मे रोते देखा...
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- सिर्फ एहसास होता है चाहत मे, इकरार नहीं होता.
- दिल से दिल मिलते हैं ~मोह्हबत में इंकार नहीं होता.
- ये कब समझोगे मेरे दोस्तों, दिल को लफजों की जरूरत नहीं होती.
- ख़ामोशी सबकुछ कह देती है प्यार में इज़हार नहीं होता
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- तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है…
- जिसका रास्ता बहुत खराब है…
- मेरे ज़ख़्म ~का अंदाज़ा ना लगा…
- दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है…
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- काटो के बदले फूल क्या दोगे…
- आँसू के बदले खुशी क्या दोगे…
- हम चाहते है आप से उमर भर की दोस्ती…
- हमारे इस शायरी का जवाब क्या दोगे?
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- वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’ अपने मतलब के लिये
- और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था !
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- रात क्या ढली कि सितारे चले गये, गैरों से क्या कहें हम जब अपने ही चले गये,
- जीत तो सकते थे हम भी इश्क की बाज़ी, पर तुम्हे जितने के लिए हम हारते चले गये….
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- तेरा उलज़ा हुआ दामन मेरी अंजुमन तो नहीं,
- जो मेरे दिल में है शायद तेरी धड़कन तो नहीं,
- यू यकायक मुजे बर~साद की क्यों याद आई,
- जो घटा है तेरी आँखों में वो सावन तो नहीं.
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- भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
- हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
- बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
- पर खामोशी ~कोई समझे तो मज़ा और है..
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- ना मुलाक़ात याद रखना, ना पता याद रखना,
- बस इतनी सी आरज़ू है, मेरा नाम याद रखना..
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- हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयां होंगे
- बहारे हमको ढूँढें~गी ना जाने हम कहाँ होंगे
- ना हम होंगे ना तुम होंगे और ना ये दिल होगा फिर भी
- हज़ारो मंज़िले होंगी हज़ारो कारँवा होंगे
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- काश वो नगमे सुनाए ना होते
- आज उनको सुनकर ये आँसू आए ना होते
- अगर इस तरह भूल जाना ही था
- तो इतनी गहराई से दिल्मे समाए ना होते….
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- ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे;
- आँसू भी मो~ती बनकर बिखर जाएँगे;
- ये मत पूछना किस किस ने
- धोखा दिया;
- वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।
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- उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में।
- महफ़िल में रह के भी रहे तनहाइयों में
- इसे दीवा~नगी नहीं तो और क्या कहें।
- प्यार ढुढतेँ रहे परछाईयों मेँ।
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- हमने दिल जो वापीस मांगा तो सिर जुका के…
- बोले
- वो तो टुंट गया युहि खेलते खेलते…….
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- मंजीले मुश्किल थी पर हम खोये नहीं…
- दर्द था दिल में पर हम रोये नहीं…
- कोई नहीं आज हमारा जो पूछे हमसे…
- जाग रहे हो किसी के लिए..या किसी के लिये सोये नहीं…
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- दिल रोज सजता है, नादान दुल्हन की तरह..!!
- गम रोज चले आते हैं, बाराती बनकर..!!
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- ‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में…
- जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से ।।।
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- अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
- ऐसे जिद्दी हैं परिंदे के उड़ा भी न सकूँ
- फूँक डालूँगा ~किसी रोज ये दिल की दुनिया
- ये तेरा खत तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
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- सुलाके सब~को गहरी नींद में …
- फिर अकेला क्युं अंधेरा जागता है
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- “एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना,
- बस फिर क्या था तबसे मोह~ब्बत की नजर से हमने खुद को भी नहीं देखा”
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- ना नमाज़ ~आती है मुझे, ना वज़ू आता है,
- सज़दा कर लेता हूँ जब सामने तू आती है…
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- सोचा था
- घर ब~ना कर बैठुंगा सुकून से…
- पर घर
- की ज़रूरतों ने
- मुसाफ़िर बना डाला
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- एक ~घड़ी
- ख़रीदकर हाथ मे क्या बाँध
- ली,,
- वक़्त पीछे
- ही पड़ गया मेरे..
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