मोहब्बत के दरवाज़े पर कोइ परदा

मोहब्बत के दरवाज़े पर कोइ परदा न था
पर उनके दिल में नक़ाब था
वो मेरे नज़दीक होकर भी दूर थे।
हम उनके पास आकर लौट चले⇔⇔⇔⇔

टिप्पणियाँ