चंद बूँदे क्या बरसी बरसात की धूल की फ़ितरत

कल तक उड़ती थी जो मुँह तक आज पैरों से लिपट गई;

चंद बूँदे क्या बरसी बरसात की धूल की फ़ितरत ही बदल गई🔻🔻🔻

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