कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली;
कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली;
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ;
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली↩↩↩↩

टिप्पणियाँ