दो लफ्ज़ लबों पर गुमसुम से बैठे थे अप्रैल 18, 2017 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप दो लफ्ज़ लबों पर गुमसुम से बैठे थे, न वो कुछ कह सके न हम कुछ कह सके; ज़ुबाँ भी आज ख़ामोश से बैठे थे, न वो कुछ सुन सके न हम कुछ सुन सके↩↩↩ टिप्पणियाँ
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