शुक्रवार, अप्रैल 14, 2017

रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढ़ल गया

शायद यह वक़्त हम से कोई चाल चल गया;
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढ़ल गया;
अश्क़ों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही;
चलो उसी मोड़ से शुरू करें फिर से जिंदगी↫↫↫

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