मेरे जीने के लिए तेरा अरमान ही काफी है,
दिल की कलम से लिखी ये दास्तान ही काफी है ,
तीर – तलवार की क्या ज़रूरत है तुझे ऐ हसीन ,
क़तल करने के लिए तेरी मुस्कान ही काफी है⇙⇙
दिल की कलम से लिखी ये दास्तान ही काफी है ,
तीर – तलवार की क्या ज़रूरत है तुझे ऐ हसीन ,
क़तल करने के लिए तेरी मुस्कान ही काफी है⇙⇙
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें