हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है;
हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है;
तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग;
हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है↵↵↵
हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है;
तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग;
हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है↵↵↵
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें