शुक्रवार, मई 12, 2017

तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग

हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है;
हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है;
तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग;
हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है↵↵↵

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