रविवार, मई 07, 2017

इंतज़ार तो सुबह दोबारा शुरू होगा

ऐ पलक तू बंद हो जा;
ख्बाबों में उसकी सूरत तो नजर आयेगी;
इंतज़ार तो सुबह दोबारा शुरू होगा;
कम से कम रात तो खुशी से कट जायेगी↵↵↵

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