बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी;
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी;
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे;
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी↵↵↵
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी;
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे;
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी↵↵↵
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