जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं

जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते;
जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं;
बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी;
अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं↘↘

टिप्पणियाँ