शनिवार, मई 13, 2017

जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं

जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते;
जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं;
बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी;
अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं↘↘

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