dard shayari hindi font 2 line 2017

मैं उस का हूँ, ये राज़ तो वो जान गया है;
वो किस का है ये सवाल मुझे सोने नहीं देता।
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➤ना जाने वो कौन तेरा हबीब होगा;
तेरे हाथों में जिसका नसीब होगा;
कोई तुम्हें चाहे ये कोई बड़ी बात नहीं;
लेकिन तुम जिसको चाहो, वो खुश नसीब होगा➤➤
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हम भी कभी मुस्कुराया करते थे;
उजाले में भी शोर मचाया करते थे;
उसी दिये ने जला दिया मेरे हाथों को;
जिस दिये को हम हवा से बचाया करते थे।
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➤कितने ही बरसों का सफर खाक हुआ;
➤उसने जब पूछा कहो कैसे आना हुआ➥➥
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मैं नहीं इतना घाफिल कि अपने चाहने वालों को भूल जाऊं;
पीता ज़रूर हूँ लेकिन थोड़ी देर यादों को सुलाने के लिए!
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नाजुक लगते थे, जो हसीन लोग;
वास्ता पड़ा तो, पत्थर के निकले!
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मेरी मौत पे किसी को अफ़सोस हो न हो;
ऐ दोस्त पर तन्हाई रोएगी कि मेरा हमसफर चला गया!
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आँसू निकल पडे ख्वाब में उसको दूर जाते देखकर;
आँख खुली तो एहसास हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है!
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मुस्कुराते इंसान की कभी जेबें टटोलना;
हो सकता है रुमाल गीला मिले!
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कुछ हार गयी तकदीर कुछ टूट गए सपने;
कुछ गैरों ने बर्बाद किया कुछ छोड़ गए अपने!
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जख्म तो हम भी अपने दिल में तुमसे गहरे रखते हैं;
मगर हम जख्मों पे मुस्कुराहटों के पहरे रखते हैं!
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निकले हम दुनिया की भीड़ में तो पता चला;
कि हर वह शख्स अकेला है जिसने मोहब्बत की है!
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जी भरके रोते हैं तो करार मिलता है;
इस जहान में कहाँ सबको प्यार मिलता है;
जिंदगी गुजर जाती है इम्तिहानों के दौर से;
एक जख्म भरता है तो दूसरा तैयार मिलता है।
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ये जो हालात हैं यकीनन एक दिन सुधर जायेंगे;
पर अफसोस के कुछ लोग दिलों से उतर जायेंगे!
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कुछ ऐसे हो गए हैं, इस दौर के रिश्ते;
जो आवाज़ तुम ना दो, तो बोलते वो भी नहीं!
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किसी को इतना भी ना चाहो कि, भुलाना मुश्किल हो जाए;
क्योंकि जिंदगी, इन्सान, और मोहब्बत तीनो बेवफा है!
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वक्त इशारा देता रहा हम इत्तेफाक़ समझते रहे;
बस यु ही धोखे खाते रहे ओर इस्तेमाल होते रहे!
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कौन चाहता है खुद को बदलना;
किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है!
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कैसे छोड़ दूँ आखिर, तुमसे मोहब्बत करना,
तुम किस्मत में ना सही, दिल में तो हो!
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बेजुबां महफिल में शोर होने लगा;
ना जाने कौन पढ़ गया खामोशी मेरी!
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संगदिलों की दुनिया है ये, यहाँ सुनता नहीं फ़रियाद कोई;
यहाँ हँसते हैं लोग तभी, जब होता है बरबाद कोई!
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इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है;
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर!
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मत पूछो की कैसा हूँ मैं;
कभी भूल ना पाओगे वैसा हूँ मैं!
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➤फिर नहीं बसते वो दिल जो एक बार उजड़ जाते है;
कब्रें जितनी भी सजा लो पर कोई ज़िंदा नहीं होता➥➥
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वो शमां की महफिल ही क्या, जिसमें दिल खाक ना हो;
मजा तो तब है चाहत का, जब दिल तो जले पर राख ना हो!
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ज़िंदा रहने की बस, अब ये तरकीब निकाली है;
ज़िंदा होने की खबर, बस सब से छुपा ली है!
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तुम्हारा दबदबा ख़ाली तुम्हारी ज़िंदगी तक है;
किसी की क़ब्र के अन्दर ज़मींदारी नही चलती!
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गुज़रते लम्हों में सदियाँ तलाश करतl हूँ;
ये मेरी प्यास है,नदियाँ तलाश करतl हूँ;
यहाँ लोग गिनाते है खूबियां अपनी;
मैं अपने आप में खामियां तलाश करतl हूँ!
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इक रात में सौ बार जला और बुझा हूँ;
मुफ़्लिस का दिया हूँ मगर आँधी से लड़ा हूँ!
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किसी के जख़्म का मरहम, किसी के ग़म का इलाज़;
लोगों ने बाँट रखा है, मुझे दवा की तरह!

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आज़मा ले मुझको थोडा और ए खुदा;
तेरा बंदा बस बिखरा है अभी तक टूटा नही!
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हमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहीं,
और बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम।
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जीतने का दिल ही नहीं करता अब मेरे दोस्त,
एक शख्स को जब से हारा हूँ मैं।
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➤आज कुछ नहीं है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ऐ दोस्त,
कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़ लिया करो➤➤➤
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तुम ने तो सोचा होगा, मिल जायेंगे बहुत चाहने वाले,
ये भी ना सोचा कभी कि, फर्क होता है चाहतों में भी।
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एक अज़ीब सा रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरमियाँ,
वो मुझे जीने नही देतीं और मैं उन्हें मरने नही देता।
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मुझे छोड़कर वो खुश हैं, तो शिकायत कैसी;
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी।
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चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये,
अब मजा देने लगी है जिन्दगी की मुश्किलें।
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अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभी;
तेरे बे-हिसाब ख्यालों ने बे-तहाशा लफ्ज़ दिए।
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किस ख़त में लिख कर भेजूं अपने इंतज़ार को तुम्हें;
बेजुबां हैं इश्क़ मेरा और ढूंढता है ख़ामोशी से तुझे।

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इश्क़ में हमने वही किया जो फूल करते हैं बहारों में;
खामोशी से खिले, महके और फिर बिखर गए।
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खुशनसीब हैं बिखरे हुए यह ताश के पत्ते;
बिखरने के बाद उठाने वाला तो कोई है इनको।
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कभी थक जाओ तुम दुनिया की महफ़िलों से,
हमें आवाज़ दे देना, हम अक्सर अकेले होते हैं।
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हमने कब माँगा है तुमसे वफाओं का सिलसिला;
बस दर्द देते रहा करो, मोहब्बत बढ़ती जायेगी।
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➤भरे बाज़ार से अक्सर मैं ख़ाली हाथ आता हूँ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते➤➤
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कहाँ माँग ली थी कायनात मैंने, जो इतना दर्द मिला;
ज़िन्दगी में पहली बार खुदा तुझसे ज़िन्दगी ही तो मांगी थी।
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डूबी हैं मेरी उँगलियाँ मेरे ही खून में,
ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सजा है।
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दर्द सहने की इतनी आदत सी हो गई है,
कि अब दर्द ना मिले तो बहुत दर्द होता है।
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तन्हा हुए तो एहसास हुआ,
कि कई घंटे होते है एक दिन में।
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➤छुपाने लगा हूँ आजकल कुछ राज अपने आप से;
सुना है कुछ लोग मुझको मुझसे ज्यादा जानने लगे हैं➤➤
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वो मुस्कान थी, कहीं खो गयी;
और मैं जज्बात था कहीं बिखर गया।
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तू हवा के रुख पे चाहतों का दिया जलाने की ज़िद न कर;
ये क़ातिलों का शहर है यहाँ तू मुस्कुराने की ज़िद न कर।
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कुछ रूठे हुए लम्हें कुछ टूटे हुए रिश्ते,
हर कदम पर काँच बन कर जख्म देते हैं।
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लहरें टकरातीं हैं मुझ से और लौट जाती हैं;
कभी सूखा किनारा रहा होता एक सजदा सहारा रहा होता।
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हजारों हैं मेरे अल्फाज के दीवाने;
मेरी खामोशी सुनने वाला कोई होता तो क्या बात थी।
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बूँद बूँद टपकती हैं तेरी ज़ुल्फ़ों से बारिशें;
क़तरा क़तरा गिरती हैं मेरे छलनी दिल से ख़्वाहिशें।
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ख्यालों में तेरी तस्वीर रख कर चूम लेता हूँ,
हथेली पर तुम्हारा नाम लिख कर चूम लेता हूँ;
तुम्हारे आँख के आँसू जो मुझ को याद आते हैं,
तो मैं चुपके से खुद आँसू बहाकर चूम लेता हूँ।
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तकलीफ़ मिट गयी मगर एहसास रह गया;
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया।
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एक कहानी सी दिल पर लिखी रह गयी,
वो नज़र जो मुझे देखती रह गयी;
लोग आ कर बाजार में बिक भी गए,
मेरी कीमत लगी की लगी रह गयी।
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हम तो बने ही थे तबाह होने के लिए;
तेरा छोड़ जाना तो महज़ एक बहाना बन गया।
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जिनकी दास्ताँ सुन हम गुजर गए,
वो फिर अपनी साँसों का झोला भर लाये।
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वो अक्सर मुझ से पूछा करती थी, तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे,
आज सोचता हूँ कि काश मैंने भी कभी पूछ लिया होता।
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➤➤दिल से खेलना हमें आता नहीं,
इसलिए इश्क की बाज़ी हम हार गए;
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें,
इसलिए जिंदा ही मुझे वो मार गए➤➤
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बहुत थे मेरे भी इस दुनिया में अपने,
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए।
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सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से,
या तो दोनों आते हैं, या कोई नहीं आता।
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जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है,
तुम चुप हो मुझ से और मैँ चुप हूँ सबसे।
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ना शाखों ने पनाह दी, ना हवाओं ने बक्शा,
पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता।
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➤हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो,
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे➤➤
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बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में,
तू परखता रहा और हमने ज़िंदगी यकीन में गुजार दी।
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खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने,
बस एक शख्स को मांगा मुझे वही ना मिला।
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ऐसा नहीं कि दिल में तेरी तस्वीर नहीं थी,
पर हाथो में तेरे नाम की लकीर नहीं थी।
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चुप हैं किसी सब्र से तो पत्थर न समझ हमें,
दिल पे असर हुआ है तेरी बात-बात का।
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यादें करवट बदल रही हैं दूर तलक मैं तन्हाँ हूँ,
वक़्त भी जिससे रूठ गया है मैं वो बेबस लम्हा हूँ।
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➤➤जब भी करीब आता हूँ बताने के लिए;
जिंदगी दूर कर देती है सताने के लिए;
महफ़िलों की शान न समझना मुझे;
मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिए➤➤
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गम किस को नहीं तुझको भी है मुझको भी है,
चाहत किसी एक की तुझको भी है मुझको भी है।
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ये कह कर खुदा ने कर दिया हर गुनाह से आज़ाद मुझे,
कि तू तो पहले से ही मोहब्बत किये बैठा है, अब इस से बड़ी कोई और सजा मेरे पास नही।
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नाम उसका ज़ुबान पर, आते आते रुक जाता है;
जब कोई मुझसे मेरी, आखिरी ख्वाहिश पूछता है।
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बहुत खूब है यूँ आपका शब्दों में मुझे लिखना,
वरना तो सबने मुझे सदा बेजुबां ही माना है।
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रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगी,
देखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है।
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➤मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ,
पीछे जब भी मुड़ कर देखता हूँ तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है➧➧
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ज़र्रा ज़र्रा जल जाने को हाज़िर हूँ,
बस शर्त है कि वो आँच तुम्हारी हो।
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उसकी जीत से होती है ख़ुशी मुझको,
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था।
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तमाम उम्र उम्मीद-ए-बहार में गुजरी,
बहार आई तो पैगाम मौत का लाई।
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सौ बार कहा दिल से कि भूल जा उसको,
हर बार दिल कहता है कि तुम दिल से नही कहते।
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मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं,
कि जख्म ताज़ा रहे और निशान चला जाये।
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कितनी जल्दी थी उसको रूठ जाने की,
आवाज़ तक न सुनी दिल के टूट जाने की।
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हमारे दिल से आज धुआँ निकल रहा है,
लगता है उसने मेरे ख्वाबों को जला डाला है।
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वो अपने ही होते हैं जो लफ्जों से मार देते हैं,
वरना गैरों को क्या खबर कि दिल किस बात पे दुखता है।
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दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,
पत्थर तो नहीं बना मगर अब मोम भी नहीं रहा।
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ख़ुशी तक्दीरों में होनी चाहिए,
तस्वीरों में तो हर कोई खुश नज़र आता है।

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हमें देख कर जब उसने मुँह मोड लिया,
एक तसल्ली सी हो गयी कि चलो पहचानती तो है।
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➤मोहब्बत से, इनायत से, वफ़ा से चोट लगती है;
बिखरता फूल हूँ, मुझको हवा से चोट लगती है;
मेरी आँखों में आँसू की तरह इक रात आ जाओ,
तकल्लुफ़ से, बनावट से, अदा से चोट लगती है➤
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हँस कर कबूल क्या करलीं सजाएँ मैंने,
ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया, हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का।
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मिला के खाक में मुझको वो इस अंदाज़ में बोले,
मिट्टी का खिलौना था, कहाँ रखने के काबिल था।
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आसान नहीं है शायर बनना दोस्तो,
शब्द जोड़ने से पहले दिल टूटना ज़रूरी है।
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मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ,
कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है।
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इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद,
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख्यालों के बाद,
मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी,
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद।
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➤मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ,
पीछे जब भी मुड़ कर देखता हूँ तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है⟵⟴
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रात को कह दो, कि जरा धीरे से गुजरे;
काफी मिन्नतों के बाद, आज दर्द सो रहा है।
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छोड़ दिया मुझको आज मेरी मौत ने यह कह कर,
हो जाओ जब ज़िंदा, तो ख़बर कर देना।
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जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम,
जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया।
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➤चिलम को पता है अंगारों से आशिकी का अंजाम,
दिल में धुआँ और दामन में बस राख ही रह जाएगी➤
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नींद भी नीलाम हो जाती है बाजार-ए-इश्क़ में,
इतना आसान भी नहीं किसी को भूल कर सो जाना।
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क़यामत के रोज़ फ़रिश्तों ने जब माँगा उससे ज़िन्दगी का हिसाब;
ख़ुदा, खुद मुस्कुरा के बोला, जाने दो, 'मोहब्बत' की है इसने।
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तजुर्बा एक ही काफी था बयान करने के लिए,
मैंने देखा ही नहीं इश्क़ दोबारा करके।
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आँखों की कतारों में पसरी नमी सी है,
आज सब कुछ है ज़िन्दगी में बस तुम्हारी कमी सी है।
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धुआँ धुआँ जला था दिल धीमे धीमे गुबार उठा,
राख के उस ढेर में बिखरा हुआ एक ख्वाब मिला।
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➤ना किया कर अपने दर्द को शायरी में ब्यान ऐ नादान दिल,
कुछ लोग टूट जाते हैं इसे अपनी दास्तान समझकर➤
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मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं,
कि जख्म ताज़ा रहे और निशान चला जाये।
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हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह,
वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे।

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मत पूछ कैसे गुज़र रही है ज़िन्दगी;
उस दौर से गुज़र रहा हूँ जो गुज़रता ही नहीं।
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ज़िद मत किया करो मेरी दास्तान सुनने की
मैं हँस कर कहूँगा तो भी तुम रोने लगोगे।
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बहुत ज़ालिम हो तुम भी, मोहब्बत ऐसे करते हो;
जैसे घर के पिंजरे में परिंदा पाल रखा हो।
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मोहब्बत की तलाश में निकले हो तुम अरे ओ पागल,
मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद करना हो।
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रोज़ सोचा है भूल जाऊँ तुझे,
फिर रोज़ ये बात भूल जाता हूँ।
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➤अग़र मोहब्बत नही थी तो फक़त एक बार बताया तो होता,
ये कम्बख़त दिल तुम्हारी ख़ामोशी को इश्क़ समझ बैठा➦➦
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लोग कहते है हर दर्द की एक हद होती है,
कभी मिलना हमसे हम वो हद अक्सर पार करके जाते हैं।
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उसे उड़ने का शौक था और हमें उसके प्यार की कैद पसंद थी,
वो शौक पूरा करने उड़ गयी जो आखिरी सांस तक साथ देने को रजामंद थी।
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मेरी रूह गुलाम हो गई है तेरे इश्क़ में शायद,
वरना यूँ छटपटाना मेरी आदत तो ना थी।
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अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ।

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➤जीने की ख्वाहिश में हर रोज़ मरते हैं,
वो आये न आये हम इंतज़ार करते हैं,
झूठा ही सही मेरे यार का वादा है,
हम सच मान कर ऐतबार करते हैं➦➦
➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨➨
नया कुछ भी नहीं हमदम, वही आलम पुराना है;
तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें, तुम्हीं को याद आना है।
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सुना है आज उस की आँखों मे आँसू आ गए,
वो किसी को सिखा रही थी कि मोहब्बत कैसे लिखते है।
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पूछते है सब जब बेवफा था वो तो उसे दिल दिया ही क्यों था,
किस किस को बतलाये कि उस शख्स में बात ही कुछ ऐसी थी
कि दिल नहीं देते तो कमबख्त जान चली जाती।
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अधूरी मोहब्बत मिली तो नींदें भी रूठ गयी,
गुमनाम ज़िन्दगी थी तो कितने सुकून से सोया करते थे।
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➤इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग,
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग➤➤
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मोहब्बत की मिसाल में बस इतना ही कहूँगा,
बेमिसाल सज़ा है किसी बेगुनाह के लिए।
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महफिल में हँसना मेरा मिजाज बन गया,
तन्हाई में मेरा रोना भी एक राज बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से जाहिर न होने दिया,
यही मेरे जीने का एक अंदाज़ बन गया।
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ज़मीं के नीचे धड़कता है कोई टूटा दिल,
यूँ ही नहीं आते ये तेज़ जलज़ले।
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टूटी चीजों का मैं भरोसा नहीं करता मगर,
दिल तो अब भी कहता है कि तुम मेरे हो।
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मोहब्बत की तलाश में निकले हो तुम अरे ओ पागल,
मोहब्बत खुद तलाश करती है जिसे बर्बाद करना हो।
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तूने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते तेरी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ।
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मुस्कुराने की आदत कितनी महंगी पड़ी मुझे,
याद करना ही छोड़ दिया उसने ये सोचकर कि मैं बहुत खुश हूँ।
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जरुरी नही कि कुछ तोड़ने के लिए पत्थर ही मारा जाये,
लहजा बदल कर बोलने से भी बहुत कुछ टूट जाता है।
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➤दर्द कभी कम नही होता ऐ सनम,
बस सहने की आदत सी हो जाती है➤➤
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किसे सुनाएँ अपने गम के चन्द पन्नों के किस्से,
यहाँ तो हर शख्स भरी किताब लिए बैठा है।
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कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे में;
मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो।
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एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर,
फिर उम्र भर लहरों से मेरी दुश्मनी हो गयी।
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कितने मज़बूर हैं हम तकदीर के हाथो,
ना तुम्हे पाने की औकात रखतेँ हैँ, और ना तुम्हे खोने का हौसला।
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दिल को हल्का कर लेता हूँ लिख-लिख कर,
लोग समझते हैं मैं शायर हो गया हूँ।
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➤ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं,
हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं,
दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,
जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत हैं➤
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रोज़ आता है मेरे दिल को तस्सली देने,
ख्याल-ए-यार को मेरा ख्याल कितना है।
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मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ़ करने वाले,
कोई हमारी मौत की अफ़वाह तो फैलाओ यारों।
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➤जिंदगी में कुछ ऐसे लोग भी मिलते हैं,
➤जिन्हें हम पा नही सकते सिर्फ चाह सकते हैं➤
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➤हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब,
➤तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते हैं➤➤
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➤अगर एहसास बयां हो जाते लफ्जों से,
➤तो फिर कौन करता तारीफ खामोशियों की➤➤
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➤मोहब्बत कितनी भी सच्ची क्यों ना हो,
➤एक ना एक दिन तो आंसू और दर्द ज़रूर देती है➹➹
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➤अजीब किस्सा है जिन्दगी का,
➤अजनबी हाल पूछ रहे हैं और अपनो को खबर तक नहीं।
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➤टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गए,
➤किसी को लग ना जाये इसलिए सबसे दूर हो गए➤
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➤तुम्हारा और मेरा इश्क है ज़माने से कुछ जुदा
एक तुम्हारी कहानी है लफ्जों से भरी एक मेरा किस्सा है ख़ामोशी से भरा➹➹
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⧪थोड़ा और बताओ ना मुझे मेरे बारे में,
सुना है बहुत अच्छे से जानते हो तुम मुझे।
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जब किसी ने पूछा हमसे कैसी है अब जिंदगी,
हमने भी मुस्कुरा कर कह दिया खुश है अब वो हमसे जुदा होकर।
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अनजान सी राहों पर चलने का तजुर्बा नहीं था,
पर उस राह ने मुझे एक हुनरमंद राही बना दिया⧪⧪
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किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो,
रूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते नहीं आते।
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करूँगा क्या जो हो गया नाकाम मोहब्बत में,
मुझे तो कोई और काम भी नहीं आता इसके सिवा।
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तेरी महफ़िल से दिल कुछ और तनहा होके लौटा है,
ये लेने क्या गया था और क्या घर लेके आया है।
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तेरी चाहत में हम रुस्वा सर ए बाजार हो गए,
हमने ही दिल खोया हम ही गुनहगार हो गए।
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उम्र कैद की तरह होते हैं कुछ रिश्ते,
जहाँ ज़मानत देकर भी रिहाई मुमकिन नहीं।
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⧪डूबी हैं मेरी उँगलियाँ मेरे ही खून में,
ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सजा है⧭⧭
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सिखा ना सकी जो उम्र भर तमाम किताबें मुझे,
फिर करीब से कुछ चेहरे पढ़े और ना जाने कितने सबक सीख लिए।

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कोई मुझ सा मुस्तहके़-रहमो-ग़मख़्वारी नहीं,
सौ मरज़ है और बज़ाहिर कोई बीमारी नही;
इश्क़ की नाकामियों ने इस तरह खींचा है तूल,
मेरे ग़मख़्वारों को अब चाराये-ग़मख़्वारी नही।
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पतंग सी है ज़िन्दगी कहाँ तक जाएगी,
रात हो या उम्र एक ना एक दिन कट ही जाएगी।
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काँच जैसा बनने के बाद पता चलता है कि,
उसको टूटना भी उसी की तरह पड़ता है।
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⧪⧪जब्त कहता है ख़ामोशी से बसर हो जाये,
दर्द की ज़िद्द है कि दुनिया को खबर हो जाये⧭⧭
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ना वो मिलती है ना मैं रुकता हूँ,
पता नहीं रास्ता गलत है या मंज़िल।
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हम मरीज इश्क़ के वो भी थे हकीम-ए-दिल,
दीदार की दवा दी कुछ पल के लिए फिर दर्द की पुड़िया बांध दी।
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भीड़ है बर-सर-ए-बाज़ार कहीं और चलें;
आ मेरे दिल मेरे ग़म-ख़्वार कहीं और चलें।
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उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम,
उसके ग़मो को हंसीं से सजा रहे थे हम,
जलाया उसी दिये ने मेरा हाथ,
जिसकी लो को हवा से बचा रहे थे हम।
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जिसके नसीब मे हों ज़माने भर की ठोकरें,
उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।
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तलाश में बीत गयी सारी ज़िंदगानी ए दिल,
अब समझा कि खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नहीं होता।
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⧭अब जिस तरफ़ से चाहे गुज़र जाए कारवाँ,
वीरानियाँ तो सब मेरे दिल में उतर गईं⧭⧭
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तुझे भूलकर भी ना भूल पायेंगे हम,
बस यही एक वादा निभा पायेंगे हम।
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आज तो मिल के भी जैसे न मिले हों तुझ से,
चौंक उठते थे कभी तेरी मुलाक़ात से हम।
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अपने क़दमों के निशान मेरे रास्ते से हटा दो,
कहीं ये ना हो कि मैं चलते चलते तेरे पास आ जाऊं।
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तेरी बातो मे ज़िक्र मेरा, मेरी बातो मे ज़िक्र तेरा;
अजब सा ये इश्क है ना तू मेरा ना मै तेरा।
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कुछ दिन तो अपनी यादें वापस ले ले हरजाई,
बड़े दिनों से मैं सोया नही।
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लगा कर आग सीने में चले हो तुम कहाँ,
अभी तो राख उड़ने दो तमाशा और भी होगा।
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⧭⧭हम ख़ास तो नहीं मगर बारिश की उन कतरों की तरह अनमोल हैं,
जो मिट्टी में समां जायें तो फिर कभी नहीं मिला करते⧭⧭⧭
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खतम हो गई कहानी, बस कुछ अलफाज बाकी हैं;
एक अधूरे इश्क की एक मुकम्मल सी याद बाकी है।
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नही है हमारा हाल, कुछ तुम्हारे हाल से अलग;
बस फ़र्क है इतना, कि तुम याद करते हो,
और हम भूल नही पाते।
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उस दिल की बस्ती में आज अजीब सा सन्नाटा है,
जिस में कभी तेरी हर बात पर महफिल सजा करती थी।
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बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी - कभी।
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ये जो खामोश से अल्फाज़ लिखेे हैं ना,
पढना कभी ध्यान से चीखते कमाल हैं।
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ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो दर्द की तुम शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या और ज्यादा क्या।
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⧪⧪पत्थर की दुनिया जज़्बात नही समझती,
दिल में क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी सितारों के बीच में है,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती⧭⧭
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कौन चाहता है खुद को बदलना,
किसी को प्यार तो किसी को नफरत बदल देती है।
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परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;
अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।
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फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की;
निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की;
तुम भी छोड़कर चले गए हमें;
अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।
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ना कोई एहसास हैं, ना कोई जज्बात हैं;
बस एक रूह हैं, और कुछ अनकहे अल्फाज हैं।
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बेगाना हमने नहीं किया किसी को,
जिसका दिल भरता गया वो हमें छोड़ता गया।
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⧭⧭आज अचानक तेरी याद ने मुझे रुला दिया,
क्या करूँ तुमने जो मुझे भुला दिया,
न करती वफ़ा न मिलती ये सज़ा,
शायद मेरी वफ़ा ने ही तुझे बेवफा बना दिया⧭⧭
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⧪⧪कभी कोई अपना अनजान हो जाता है,
कभी अनजान से प्यार हो जाता है,
ये जरुरी नही कि जो ख़ुशी दे उसी से प्यार हो,
दिल तोड़ने वालो से भी प्यार हो जाता है⧭⧭
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ना जाने क्या कहा था डूबने वाले ने समंदर से,
कि लहरें आज तक साहिल पे अपना सर पटकती हैं।
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मुझमें और तवायफ में फर्के फक्त है इत्ता,
वो शब निकले, मैं सुब से निकलूँ साज़ो श्रृंगार में।
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ग़म वो मय-ख़ाना कमी जिस में नहीं;
दिल वो पैमाना है जो कभी भरता ही नहीं।
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मेरी फितरत मे नही है किसी से नाराज होना,
नाराज वो होते है जिनको अपने आप पर गुरुर होता है।
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बिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सज़ा लगती है;
यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है;
तड़प उठता हूँ दर्द के मारे मैं;
ज़ख्मो को मेरे जब तेरे शहर की हवा लगती है।
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आयें हैं उसी मोड पे लेकिन अपना नही यहाँ अब कोई;
इस शहर ने इस दीवाने को ठुकराया है बार-बार,
माना कि तेरे हुस्न के काबिल नही हूँ मैं,
पर यह कमबख्त इश्क तेरे दर पे हमें लाया है बार-बार।
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जाने क्या था जाने क्या है जो मुझसे छूट रहा है,
यादें कंकर फेंक रही हैं और दिल अंदर से टूट रहा है।
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⧪⧪कभी संभले तो कभी बिखरते आये हम;
जिंदगी के हर मोड़ पर खुद में सिमटते आये हम;
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सकता हमें;
मगर प्यार के दो लफ्जो में सदा बिकते आये हम⧭⧭⧭
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कितना और बदलूँ खुद को, जीने के लिए ऐ ज़िन्दगी;
मुझमें थोडा सा तो मुझको बाकी रहने दे।
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एहसास बदल जाते हैं बस और कुछ नहीं,
वरना नफरत और मोहब्बत एक ही दिल से होती है।
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ज़रूरी तो नहीं था हर चाहत का मतलब इश्क़ हो;
कभी कभी कुछ अनजान रिश्तों के लिए दिल बेचैन हो जाता है।
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गम तो है हर एक को, मगर हौसला है जुदा जुदा;
कोई टूट कर बिखर गया, कोई मुस्कुरा के चल दिया।
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मालूम जो होता हमें अंजाम-ए-मोहब्बत;
लेते न कभी भूल के हम नाम-ए-मोहब्बत।
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शिखर पर खड़ी हूँ मंज़िल के मैं;
पैरों को घेरे यह फिर कैसे भंवर हैं।
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⧪⧪उदासी तुम पे बीतेगी तो तुम भी जान जाओगे कि,
कितना दर्द होता है नज़र अंदाज़ करने से।
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हम तो सोचते थे कि लफ्ज़ ही चोट करते हैं;
मगर कुछ खामोशियों के ज़ख्म तो और भी गहरे निकले⧭⧭
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⧪⧪दर्द से हम अब खेलना सीख गए;
बेवफाई के साथ अब हम जीना सीख गए;
क्या बतायें किस कदर दिल टूटा है हमारा;
मौत से पहले हम कफ़न ओढ़ कर सोना सीख गए⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
तेरी याद में ज़रा आँखें भिगो लूँ;
उदास रात की तन्हाई में सो लूँ;
अकेले ग़म का बोझ अब संभलता नहीं;
अगर तू मिल जाये तो तुझसे लिपट कर रो लूँ

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
हमें भी याद रखें जब लिखें तारीख गुलशन की;
कि हमने भी लुटाया है चमन में आशियां अपना।
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⧭⧭मिसाल इसकी कहाँ है ज़माने में,
कि सारे खोने के ग़म पाये हमने पाने में,
वो शक्ल पिघली तो हर शय में ढल गयी जैसे,
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में,
जो मुंतज़िर ना मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा,
कि हमने देर लगा दी पलट के आने में⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मुझ को तो होश नहीं तुमको खबर हो शायद;
लोग कहते हैं कि तुमने मुझे बर्बाद कर दिया।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मैंने रब से कहा वो चली गयी मुझे छोड़कर,
उसकी जाने क्या मज़बूरी थी;
रब ने मुझसे कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं,
यह कहानी मैंने लिखी ही अधूरी थी।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ऐ आईने तेरी भी हालत अजीब है मेरे दिल की तरह;
तुझे भी बदल देते हैं यह लोग तोड़ने के बाद।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मत पूछ कैसे गुज़र रही है ज़िन्दगी;
उस दौर से गुज़र रहा हूँ जो गुज़रता ही नहीं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर हैं कि मर जायें;
वही आँसू, वही आहें, वही ग़म है जिधर जायें;
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता;
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जायें जिधर जायें।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
सब कुछ बदला बदला था जब बरसो बाद मिले;
हाथ भी न थाम सके वो इतने पराये से लगे।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪तेरे इश्क की दुनिया में हर कोई मजबूर है;
पल में हँसी पल में आँसू ये चाहत का दस्तूर है;
जिसे मिली न मोहब्बत उसके ज़ख्मो का कोई हिसाब नहीं;
ये मोहब्बत पाने वाला भी दर्द से कहाँ दूर है⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
टूटे हुए पैमाने में कभी जाम नहीं आता;
इश्क़ के मरीज़ों को कभी आराम नहीं आता;
ऐ दिल तोड़ने वाले तुमने यह नहीं सोचा;
कि टूटा हुआ दिल कभी किसी के काम नहीं आता

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
तेरे हसीन तस्सवुर का आसरा लेकर;
दुखों के काँटे में सारे समेट लेता हूँ;
तुम्हारा नाम ही काफी है राहत-ए-जान को;
जिससे ग़मों की तेज़ हवाओं को मोड़ देता हूँ।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪छोटी सी ज़िन्दगी में अरमान बहुत थे;
हमदर्द कोई न था इंसान बहुत थे;
मैं अपना दर्द बताता भी तो किसे बताता;
मेरे दिल का हाल जानने वाले अनजान बहुत थे⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
पढ़ तो लिए है मगर अब कैसे फेंक दूँ;
खुशबू तुम्हारे हाथों की इन कागज़ों में जो है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें;
दिल ही नहीं रहा है कि कुछ आरज़ू करें।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
आवारगी छोड़ दी हमने तो लोग भूलने लगे हैं;
वरना शोहरत कदम चूमती थी जब हम बदनाम हुआ करते थे।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
वक़्त बदला और बदली कहानी है;
संग मेरे हसीन पलों की यादें पुरानी हैं;
ना लगाओ मरहम मेरे ज़ख्मों पर;
मेरे पास उनकी बस यही एक बाकी निशानी है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
लोग बेवजह ढूँढते हैँ खुदखुशी के तरीके हजार;
इश्क करके क्यों नहीँ देख लेते वो एक बार।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪तू देख या न देख, तेरे देखने का ग़म नहीं;
तेरा न देखना भी तेरे देखने से कम नहीं;
शामिल नहीं हैं जिसमे तेरी यादे;
वो जिन्दगी भी किसी जहन्नुम से कम नहीं⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
छुपे हैं लाख हक़ के मरहले गुम-नाम होंटों पर;
उसी की बात चल जाती है जिस का नाम चलता है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
सब का तो मुदावा कर डाला अपना ही मुदावा कर न सके;
सब के तो गिरेबाँ सी डाले अपना ही गिरेबाँ भूल गए।

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌

क्यों हिज्र के शिकवे करता है क्यों दर्द के रोने रोता है;
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
वही रंजिशें वही हसरतें,
न ही दर्द-ए-दिल में कमी हुई;
है अजीब सी मेरी ज़िन्दगी,
न गुज़र सकी न खत्म हुई।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
आँखों के परदे भी नम हो गए हैं;
बातों के सिलसिले भी कम हो गए हैं;
पता नहीं गलती किसकी है;
वक़्त बुरा है या बुरे हम हो गए हैं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭⧭इक़रार कर गया कभी इंकार कर गया;
हर बात एक अज़ब से दो-चार कर गया;
रास्ता बदल के भी देखा मगर वो शख्स;
दिल में उतर कर सारी हदें पार कर गया⧭⧭द
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌ 
अपना ही समझते हैं तुम्हें दिल-ओ-जाना हम तुम्हें;
दुश्मनों को तो कभी दिल में बसाया नहीं जाता।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
कभी किसी से प्यार मत करना;
हो जाए तो इनकार मत करना;
निभा सको तो चलना उसकी राह पर;
वरना किसी की ज़िंदगी बरबाद मत करना।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
सुना है जब वो मायूस होते हैं तो हमें बहुत याद करते हैं;
तू ही बता ऐ खुदा अब दुआ उनकी खुशी की करुँ या मायूसी की।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
तुम ने जो दिल के अँधेरे में जलाया था कभी;
वो दिया आज भी सीने में जला रखा है;
देख आ कर दहकते हुए ज़ख्मों की बहार;
मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭बिछड़ के तुम से ज़िन्दगी सजा लगती है;
यह साँस भी जैसे मुझ से खफा लगती है;
तड़प उठते हैं दर्द के मारे;
ज़ख्मों को मेरे जब तेरे दीदार की हवा लगती है⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
तुम भी कर के देख लो मोहब्बत किसी से;
जान जाओगे कि हम मुस्कुराना क्यों भूल गए।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌

निगाहों से भी चोट लगती है जनाब,
जब कोई देख कर भी अनदेखा कर देता है⬈⬈
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मेरे प्यार को वो समझ नहीं पाया;
रोते थे जब बैठ तनहा तो कोई पास नहीं आया;
मिटा दिया खुद को किसी के प्यार में;
तो भी लोग कहते हैं कि मुझे प्यार करना नहीं आया।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तनहा ना कर दे 'ग़ालिब';
रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
उदासियों के सन्नाटे बड़े एहतराम से रहते मुझ में;
अब दिल भी धड़कता है तो शोर लगता है⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭रिश्ते बनते और बिगड़ते रहते हैं;
लोग सफ़र में मिलते बिछड़ते रहते हैं;
शायर क्या जानेगे दौलत का हुनर;
लफ़्ज़ों की दुनिया में उलझे रहते हैं⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
आरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये;
फ़िक्र तो यह है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये;
कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो;
दर्द इतना देना कि मेरा दम निकल जाये।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪पा लिया था दुनिया की सबसे हसीन को;
इस बात का तो हमें कभी गुरूर न था;
वो रह पाते पास कुछ दिन और हमारे;
शायद यह हमारे नसीब को मंज़ूर नहीं था⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ये नज़र नज़र की बात है कि किसे क्या तलाश है;
तू हँसने को बेताब है मुझे तेरी मुस्कुराहटों की प्यास है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथ;
ले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
यह ग़ज़लों की दुनिया भी अजीब है;
यहाँ आँसुओं का भी जाम बनाया जाता है;
कह भी देते हैं अगर दर्द-ए-दिल की दास्तान;
फिर भी वाह-वाह ही पुकारा जाता है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪हम पर जो गुज़री है क्या तुम सुन पाओगे;
नाज़ुक सा दिल रखते हो तुम रोने लग जाओगे;
बहुत ग़म मिले हैं इस दुनिया की भीड़ में;
कभी सुनो जो तुम इन्हें तुम भी मुस्कुराना भूल जाओगे⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर';
सारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब सिलसिला था;
अपना भी नहीं बनाया और किसी का होने भी नहीं दिया।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दिल में अब यूँ तेरे भूले हुये ग़म आते हैं;
जैसे बिछड़े हुये काबे में सनम आते हैं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
अजीब रंग का मौसम चला है कुछ दिन से;
नज़र पे बोझ है और दिल खफा है कुछ दिन से;
वो और थे जिसे तू जानता था बरसों से;
मैं और हूँ जिसे तू मिल रहा है कुछ दिन से।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭⧭उनसे मिलने की जो सोचें अब वो ज़माना नहीं;
घर भी उनके कैसे जायें अब तो कोई बहाना नहीं;
मुझे याद रखना तुम कहीं भुला ना देना;
माना कि बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
माँगने से मिल सकती नहीं हमें एक भी ख़ुशी;
पाये हैं लाख रंज तमन्ना किये बगैर।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭तुम्हें भूले पर तेरी यादों को ना भुला पाये;
सारा संसार जीत लिया बस एक तुम से ना हम जीत पाये;
तेरी यादों में ऐसे खो गए हम कि किसी को याद ना कर पाये;
⧭तुमने मुझे किया तनहा इस कदर कि अब तक किसी और के ना हम हो पाये।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌  
ना हम रहे दिल लगाने के काबिल;
ना दिल रहा ग़म उठाने के काबिल;
लगे उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल पर;
ना छोड़ा उसने फिर मुस्कुराने के काबिल।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं​;
​रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं​;​
​​ ​​पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता हैं​;​
​अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं​।

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌

तुझको भी जब अपनी कसमें अपने वादे याद नहीं;
हम भी अपने ख्वाब तेरी आँखों में रख कर भूल गए।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪वो जज़्बों की तिजारत थी, यह दिल कुछ और समझा था;
उसे हँसने की आदत थी, यह दिल कुछ और समझा था;
मुझे देख कर अक्सर वो निगाहें फेर लेते थे;
वो दर-ए-पर्दा हकारत थी, यह दिल कुछ और समझा था⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना;
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना;
तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई;
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दर्द-ए-दिल कम ना होगा ऐ सनम;
आपकी महफ़िल से जाने के बाद;
नाम बदनाम हमारा होगा;
आपकी ज़िन्दगी से जाने के बाद।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌  
⧪⧪एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा;
⧪मैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगा;
⧪भागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथ;
⧪जिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगा⬉⬉⬉
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
हमें क्या पता था, मौसम ऐसे रो पड़ेगा;
हमने तो आसमां को बस अपनी दास्ताँ सुनाई थी।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
खुलेगी इस नज़र पे चश्म-ए-तर आहिस्ता आहिस्ता;
किया जाता है पानी में सफ़र आहिस्ता आहिस्ता;
कोई ज़ंजीर फिर वापस वहीं पर ले के आती है;
कठिन हो राह तो छूटता है घर आहिस्ता आहिस्ता।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⥔⥔⥔अपनी यादें अपनी बातें लेकर जाना भूल गये;
जाने वाले जल्दी में मिलकर जाना भूल गये;
मुड़-मुड़ कर देखा था जाते वक़्त रास्ते में उन्होंने;
जैसे कुछ जरुरी था, जो वो हमें बताना भूल गये;
वक़्त-ए-रुखसत भी रो रहा था हमारी बेबसी पर;
उनके आंसू तो वहीं रह गये, वो बाहर ही आना भूल गये⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
बेनाम सा यह दर्द ठहर क्यों नही जाता;
जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नही जाता;
वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ मैं;
जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नही जाता।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
आओ किसी शब मुझे टूट के बिखरता देखो;
मेरी रगों में ज़हर जुदाई का उतरता देखो;
किस किस अदा से तुझे माँगा है खुदा से;
आओ कभी मुझे सजदों में सिसकता देखो


⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
किसी ने यूँ ही पूछ लिया हमसे कि दर्द की कीमत क्या है;
हमने हँसते हुए कहा, "पता नहीं... कुछ अपने मुफ्त में दे जाते हैं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की;
निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की;
तुम भी छोड़कर चले गए हमें;
अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
परछाइयों के शहर की तन्हाईयाँ ना पूछ;
अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा ना था।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪⧪जब रूह किसी बोझ से थक जाती है;
एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है;
मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन;
ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दिल की हालात बताई नहीं जाती;
हमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जाती;
बस एक याद बची है उनके चले जाने के बाद;
हमसे तो वो याद भी दिल से निकाली नहीं जाती।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
उन गलियों से जब गुज़रे तो मंज़र अजीब था;
दर्द था मगर वो दिल के करीब था;
जिसे हम ढूँढ़ते थे अपनी हाथों की लकीरों में;
वो किसी दूसरे की किस्मत किसी और का नसीब था।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
निकले हम कहाँ से और किधर निकले;
हर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकले;
तूने समझाया क्या रो-रो के अपनी बात;
तेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकले।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में;
किसकी बनी है आलम-ए-ना पैदार में;
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें;
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दागदार में।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
अब जिस के जी में आये वही पाये रौशनी;
हम ने तो दिल जला कर सरेआम रख दिया।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने;
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए।

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌

⧪⧪तनहाइयों के शहर में एक घर बना लिया;
रुसवाइयों को अपना मुक़द्दर बना लिया;
देखा है हमने यहाँ पत्थर को पूजते हैं लोग;
इसलिए हमने भी अपने दिल को पत्थर बना लिया🔝🔝🔝
द⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
प्यार तो ज़िन्दगी को सजाने के लिए है;
पर ज़िन्दगी बस दर्द बहाने के लिए है;
मेरे अंदर की उदासी काश कोई पढ़ ले;
ये हँसता हुआ चेहरा तो ज़माने के लिए है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
बिछड़ गए हैं जो उनका साथ क्या मांगू;
ज़रा सी उम्र बाकी है इस गम से निजात क्या मांगू;
वो साथ होते तो होती ज़रूरतें भी हमें;
अपने अकेले के लिए कायनात क्या मांगू।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
चुपके चुपके कोई गम का खाना हम से सीख जाये;
जी ही जी में तिलमिलाना कोई हम से सीख जाये;
अब्र क्या आँसू बहाना कोई हमसे सीख जाये;
बर्क क्या है तिलमिलाना कोई हम से सीख जाये।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
कुछ लोग पसंद करने लगे हैं अल्फाज मेरे;
मतलब मोहब्बत में बरबाद और भी हुए हैं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
तुझे अपना बनाने की हसरत थी,
जो बस दिल में ही रह गयी;
चाहा था तुझे टूट कर हमने;
चाहत थी बस चाहत बन कर रह गयी।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪इसी ख्याल से गुज़री है शाम-ए-दर्द अक्सर;
कि दर्द हद से जो गुज़रेगा मुस्कुरा दूंगा⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दुःख देते हो खुद और खुद ही सवाल करते हो;
तुम भी ओ सनम, कमाल करते हो;
देख कर पूछ लिया है हाल मेरा;
चलो शुक्र है कुछ तो ख्याल करते हो।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
डूबी हैं मेरी उँगलियाँ खुद अपने लहू में;
ये काँच के टुकड़ों को उठाने के सज़ा है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दर्द दे गए सितम भी दे गए;
ज़ख़्म के साथ वो मरहम भी दे गए;
दो लफ़्ज़ों से कर गए अपना मन हल्का;
और हमें कभी ना रोने की कसम दे गए।

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
साँस थम जाती है पर जान नहीं जाती;
दर्द होता है पर आवाज़ नहीं आती;
अजीब लोग हैं इस ज़माने में ऐ दोस्त;
कोई भूल नहीं पाता और किसी को याद नहीं आती।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ;
धूप कितनी भी तेज़ हो समंदर नहीं सूखा करते।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत में;
कैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहीं;
कहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहीं;
दर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायद;
वो ज़ख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪⧪रोते रहे तुम भी, रोते रहे हम भी;
कहते रहे तुम भी और कहते रहे हम भी;
ना जाने इस ज़माने को हमारे इश्क़ से क्या नाराज़गी थी;
बस समझाते रहे तुम भी और समझाते रहे हम भी⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है;
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
किसी ने यूँ ही पुछ लिया हमसे कि दर्द की कीमत क्या है;
हमने हँसते हुए कहा, पता नहीं कुछ अपने मुफ्त में दे जाते हैं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली;
एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली;
करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर;
हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मोहब्बत में किसी का इंतजार मत करना;
हो सके तो किसी से प्यार मत करना;
कुछ नहीं मिलता मोहब्बत कर के;
खुद की ज़िन्दगी बेकार मत करना।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
बस यही सोच कर हर तपिश में जलता आया हूँ;
धूप कितनी भी तेज़ हो समन्दर नहीं सूखा करते।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
एक पल में ज़िन्दगी भर की उदासी दे गया;
वो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गया;
नोच कर शाखों के तन से खुश्क पत्तों का लिबास;
ज़र्द मौसम बाँझ रुत को बे-लिबासी दे गया।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
न वो सपना देखो जो टूट जाये;
न वो हाथ थामो जो छूट जाये;
मत आने दो किसी को करीब इतना;
कि उसके दूर जाने से इंसान खुद से रूठ जाये।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को;
बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
बढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयी;
वो खुश दिली जो दिलों को दिलों से जोड़ गयी;
अब्द की राह पे बे-ख्वाब धड़कनों की धमक;
जो सो गए उन्हें बुझते जगो में छोड़ गयी।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली;
दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली;
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो;
हम ने बर्बाद ज़िन्दगी कर ली।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭⧭हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे;
वो भी पल पल हमें आजमाते रहे;
जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया;
हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭⧭क्या कुछ न किया है और क्या कुछ नहीं करते;
कुछ करते हैं ऐसा ब-खुदा कुछ नहीं करते;
अपने मर्ज़-ए-गम का हकीम और कोई है;
हम और तबीबों की दवा कुछ नहीं करते⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
हुआ जब इश्क़ का एहसास उन्हें;
आकर वो पास हमारे सारा दिन रोते रहे;
हम भी निकले खुदगर्ज़ इतने यारो कि;
ओढ़ कर कफ़न, आँखें बंद करके सोते रहे।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ये रुके रुके से आँसू ये दबी दबी सी आहें;
यूँ ही कब तलक खुदाया ग़म-ए-ज़िंदगी निबहेँ।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
खून से जब जला दिया एक दिया बुझा हुआ;
फिर मुझे दे दिया गया एक दिया बुझा हुआ;
महफ़िल-ए-रंग-ओ-नूर की फिर मुझे याद आ गयी;
फिर मुझे याद आ गया एक दिया बुझा हुआ।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌

⧪⧪इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए;
उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए;
चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर;
जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪⧪बुझते हुए अरमानों का इतना ही फ़साना है;
इश्क़ में तेरे हर पल हम को रहना है;
चाहे सितमगर कितने भी ज़ख़्म दे हमें;
इश्क़ में हर ज़ख्म हमें हँसते हुए सहना है⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
नशे में भी तेरा ही नाम लबों पर आता है;
चलते हुए मेरे पाँव लड़खड़ाते हैं;
एक टीस सी उठती है दिल में मेरे;
जब भी तेरा दिया हुआ दर्द याद आता है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दर्द-ए-दिल कम ना होगा ऐ सनम;
आपकी महफ़िल से जाने के बाद;
नाम बदनाम हमारा होगा;
आपकी ज़िन्दगी से जाने के बाद।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪किसको दोष लगाएं अपनी बरबादी का हम;
इश्क़ की राहों में हम खुद ही गुनाहगार हैं;
जो लम्हें बिताये थे साथ मिलकर कभी;
आज वही लम्हें मेरे सितमगर हैं⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ, अपनी जिंदगी में यारो;
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले;
तुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिले;
एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है;
जिन को न सह सके ये दिल, ऐसे तो गम नहीं मिले।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
खुद से भी ज्यादा उन्हें प्यार किया करते थे;
उनकी ही याद में दिन रात जिया करते थे;
गुज़रा नहीं जाता अब उन राहों से;
जहाँ रुक कर हम उनका इंतज़ार किया करते थे।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
तन्हाइयों के शहर में एक घर बना लिया;
रुसवाइयों को अपना मुक़द्दर बना लिया;
देखा है यहाँ पत्थर को पूजते हैं लोग;
हमने भी इसलिए अपने दिल को पत्थर बना लिया।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दिल के दर्द को दिल तोड़ने वाले क्या जाने;
प्यार की रस्मों को यह ज़माने वाले क्या जाने;
होती है कितनी तकलीफ कब्र के नीचे;
यह ऊपर से फूल चढ़ाने वाले क्या जाने।

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌

ताबीर जो मिल जाएं तो एक ख्वाब बहुत था;
जो शख्स गंवा बैठी हूं नायाब बहुत था;
मैं भला कैसे बचा लेती कश्ती-ए-दिल को सागर से;
दरिया-ए- मोहब्बत में सैलाब बहुत था।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
वक़्त गुज़रेगा तो हम संभाल जाएँगे;
मौत आने से पहले समझ जाएँगे;
कि बेवफ़ाई उनकी फ़ितरत है, ना की मजबूरी;
तन्हाई में ही सही, हम फिर से बस जाएँगे।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है;
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
खुशबु की तरह साथ लगा ले गयी हम को;
कूचे से तेरे बाद-ए-सबा ले गयी हम को;
पत्थर थे कि गौहर थे अब इस बात का क्या ज़िक्र;
इक मौज बहर-हाल बहा ले गयी हम को।

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहीं;
कहाँ से लायें लफ्ज़ जब हम को मिलते ही नहीं;
दर्द की जुबान होती तो बता देते शायद;
वो ज़ख्म कैसे दिखायें जो दिखते ही नहीं।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
आइना भी भला कब किसी को सच बता पाया है;
जब भी देखो दायाँ तो बायां ही नज़र आया है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
अब हवा जिधर जाये मैं भी उधर जाऊंगा;
मैं खुश्बू हूँ हवाओं में बिखर जाऊंगा;
अफ़सोस तुम्हें होगा मुझे सताओगे अगर;
मेरा क्या जितना भी जलाओगे उतना ही निखर जाऊंगा।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪अपनी हर बात रखने का दावा किया उसने;
लगा जैसे हकीकत में जीने का बहाना किया उसने;
टूट गया कोई अल्फ़ाज़ों से उनके उनको पता तक नहीं;
ज़िंदगी सिर्फ नाम नहीं मोहब्बत का यह भी सिखाया उसने⬉⬉⬉
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌  
⧬तुम न आए तो क्या सहर न हुई;
हाँ मगर चैन से बसर न हुई;
मेरा नाला सुना ज़माने ने;
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭कैसे बयान करे अब आलम दिल की बेबसी का;
⧪वो क्या समझे दर्द इन आंखों की नमी का;
⧪चाहने वाले उनके इतने हो गए हैं कि;
⧪अब एहसास ही नहीं उन्हें हमारी कमी का🔝🔝🔝🔝
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
इश्क़ में जिसके ये अहवाल बना रखा है;
अब वही कहता है इस वजह में क्या रखा है;
ले चले हो मुझे इस बज्म में यारो लेकिन;
कुछ मेरा हाल भी पहले से सुना रखा है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मोहब्बत और मौत की पसंद तो देखो;
एक को दिल चाहिए और दूसरे को धड़कन।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
मुझ से ऐ आईने मेरी बेकरारियाँ मत पूछ;
टूट जाएगा तू भी मेरी खामोशियाँ सुन के।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दिलों की बंद खिड़की खोलना अब जुर्म जैसा है;
भरी महफिल में सच बोलना अब जुर्म जैसा है;
हर ज्यादती को सहन कर लो चुपचाप;
शहर में इस तरह से चीखना जुर्म जैसा है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪तुम्हारे चाँद से चेहरे पे ग़म अच्छे नहीं लगते;
⧪हमें कह दो चले जाओ जो हम अच्छे नहीं लगते;
⧪हमें वो ज़ख्म दो जाना जो सारी उम्र ना भर पायें;
⧪जो जल्दी भर के मिट जाएं वो ज़ख्म अच्छे नहीं लगते⬉⬉⬉
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
जब तक अपने दिल में उनका गम रहा;
हसरतों का रात दिन मातम रहा;
हिज्र में दिल का ना था साथी कोई;
दर्द उठ-उठ कर शरीक-ए-गम रहा।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
है परेशानियाँ यूँ तो, बहुत सी ज़िंदगी में;
तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
दर्द आँखों में झलक जाता है पर होंठों तक नहीं आता;
ये मज़बूरी है मेरे इश्क़ की जो मिलता है खो जाता है;
उसे भूलने का जज़्बा तो हर रोज़ दिल में आता है;
पर कैसे भुला दे दिल, हर जर्रे में उसको पाता है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की;
निगाहें बदल जाती हैं अपनों-बेगानों की;
तुम भी छोड़कर चले गए हो हमें ओ सनम;
अब तो तमन्ना ही नहीं रही किसी और से दिल लगाने की⬉⬉⬉
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
किसी कली ने भी देखा न आँख भर के मुझे;
गुज़र गयी जरस-ए-गुल उदास करके मुझे;
मैं सो रहा था किसी याद के शबिस्ताँ में;
जगा के छोड़ गए काफिले सहर के मुझे।

⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌

⧪न मेरी कोई मंज़िल है न किनारा;
तन्हाई मेरी महफ़िल और यादें मेरा सहारा;
तुम से बिछड़ कि कुछ यूँ वक़्त गुज़ारा;
कभी ज़िंदगी को तरसे तो कभी मौत को पुकारा⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
ज़रा देखो ये दरवाज़े पर दस्तक किसने दी है;
अगर इश्क़ हो तो कहना यहाँ दिल नही रहता।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
प्यार किसी से जितना किया रुस्वाई ही मिली है;
वफ़ा चाहे जितनी भी की बेवफाई ही मिली है;
जितना भी किसी को अपना बना कर देखा;
जब आँख खुली तो तन्हाई ही मिली है।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
उसकी याद में हम बरसों रोते रहे;
बेवफ़ा वो निकले बदनाम हम होते रहे;
प्यार में मदहोशी का आलम तो देखिये;
धूल चेहरे पे थी और हम आईना साफ़ करते रहे।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧬किस फ़िक्र किस ख्याल में खोया हुआ सा है;
दिल आज तेरी याद को भूला हुआ सा है;
गुलशन में इस तरह कब आई थी फसल-ए-गुल;
हर फूल अपनी शाख से टूटा हुआ सा है⧭⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
हर वक़्त तेरी यादें तडपाती हैं मुझे;
आखिर इतना क्यों ये सताती है मुझे;
इश्क तो किया था तूने भी बड़े शौंक से;
अब क्यों नहीं यह एहसास दिलाती है तुझे।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
काश उसे चाहने का अरमान ना होता;
मैं होश में रहते हुए अनजान ना होता;
ना प्यार होता किसी पत्थर दिल से हमको;
या फिर कोई पत्थर दिल इंसान ना होता।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
🔝कोई 'अनीस' कोई आश्ना नहीं रखते;
किसी आस बग़ैर अज खुदा नहीं रखते;
किसी को क्या हो दिलों की शिकस्तगी की खबर;
कि टूटने में यह दिल सदा नहीं रखते⧭⧭
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मोहब्बत हर इंसान को आज़माती है;
किसी से रूठ जाती है किसी पे मुस्कुराती है;
यह मोहब्बत का खेल ही कुछ ऐसा है;
किसी का कुछ नहीं जाता और किसी की जान चली जाती है।
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सबके दुःख हैं एक से मगर हौंसले हैं जुदा-जुदा;
कोई टूट कर बिखर गया तो कोई यूँ ही मुस्कुरा कर चल दिया।

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⧭इश्क़ पाने की तमन्ना में कभी कभी ज़िंदगी खिलौना बन जाती है;
जिसे दिल में बसाना चाहते हैं वो सूरत सिर्फ याद बन रह जाती है।
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'मजरूह' लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का नाम;
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह⧭⧭
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इधर से आज वो गुज़रे तो मुँह फेरे हुए गुज़रे;
अब उन से भी हमारी बे-कसी देखी नहीं जाती।
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मत पूछना ख़फ़ा होने का सबब मुझसे;
कैसे-कैसे खेले हैं किस्मत ने खेल मुझसे;
अब कैसे छिपाऊं अश्क इन आँखों में;
क्या बताऊँ अब क्या छूट गया है मुझसे।
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ज़ख़्म देने का अंदाज़ कुछ ऐसा है;
ज़ख़्म देकर पूछते हैं कि हाल कैसा है;
किसी एक से गिला अब क्या करें हम;
यहाँ तो सारी दुनिया का मिज़ाज़ एक जैसा है।
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राह-ए-वफ़ा में हम को ख़ुशी की तलाश थी;
दो गाम ही चले थे कि हर गाम रो पड़े।
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⧪मैं अपनी वफाओं का भरम ले के चली हूँ;
हाथों में मोहब्बत का आलम लेकर चली हूँ;
चलने ही नहीं देती यह वादे की ज़ंज़ीर;
मुश्किल था मगर इश्क़ के सारे सितम लेकर चली हूँ⧭⧭
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अब तो ये भी नहीं रहा एहसास दर्द होता है या नहीं होता;
इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा आदमी काम का नहीं होता।
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दर्द कितने हैं यह बता नहीं सकता;
ज़ख़्म हैं कितने यह भी दिखा नहीं सकता;
आँखों से समझ सको तो समझ लो;
आँसू गिरे हैं कितने यह गिना नहीं सकता।
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मेरे सुर्ख़ लहू से चमकी कितने हाथों में मेहंदी;
शहर में जिस दिन क़त्ल हुआ मैं ईद मनाई लोगों ने।

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तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं;
सनम की याद में हर-दम ख़ुदा को याद करते हैं;
उन्हीं के इश्क़ में हम नाला-ओ-फ़रियाद करते हैं;
इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते हैं।
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शोला था जल बुझा हूँ, हवाएं मुझे न दो;
मैं तो कब का जा चुका हूँ, सदायें मुझे न दो;
वो ज़हर भी पी चुका हूँ, जो तुमने मुझे दिया था;
आ गया हम मौत के आग़ोश में अब मुझे ज़िंदगी की दुआएं न दो।
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⧪तुम आज हँसते हो हंस लो मुझ पर ये आज़माइश ना बार-बार होगी;
मैं जानता हूं मुझे ख़बर है कि कल फ़ज़ा ख़ुशगवार होगी;
रहे मुहब्बत में ज़िन्दगी भर रहेगी ये कशमकश बराबर;
ना तुमको क़ुरबत में जीत होगी ना मुझको फुर्कत में हार होगी⧭⧭⧭
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इरादों में अभी भी क्यों इतनी जान बाकी है;
तेरे किये वादों का इम्तिहान अभी बाकी है;
अधूरी क्यों रह गयी तुम्हारी यह बेरुखी;
जबकि दिल के हर टुकड़े में तेरा नाम बाकी है।
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जिनकी आँखें आँसुओं से नम नहीं;
क्या समझते हो कि उन्हें कोई ग़म नहीं;
तुम तड़प कर रो दिए तो क्या हुआ;
ग़म छुपा कर हँसने वाले भी कम नहीं।
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⧪⧪देख कर उसको अक्सर हमे एहसास होता है;
कभी कभी गम देने वाला भी बहुत ख़ास होता है;
ये और बात है वो हर पल नही होता पास हमारे;
मगर उसका दिया गम अक्सर हमारे पास होता है⧪⧪⧪
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌  
⧪⧪मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो;
काफ़िर अगर हज़ार बरस दिल में तू न हो;
क्या लुत्फ़-ए-इंतज़ार जो तू हीला-जू न हो;
किस काम का विसाल अगर आरज़ू न हो⬉⬉⬉
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एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी चुका दिया;
जितना खाया था नमक मेरा, मेरे जख्मों पर लगा दिया।
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ये सानेहा भी मोहब्बत में बार-हा गुज़रा;
कि उस ने हाल भी पूछा तो आँख भर आई।
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हमें कोई ग़म नहीं था ग़म-ए-आशिक़ी से पहले;
न थी दुश्मनी किसी से तेरी दोस्ती से पहले;
है ये मेरी बदनसीबी तेरा क्या कुसूर इसमें;
तेरे ग़म ने मार डाला मुझे ज़िन्दग़ी से पहले।
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तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल;
इतना आसान तेरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं।
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जिसको भी चाहा उसे शिद्दत से चाहा है 'फ़राज़';
सिलसिला टूटा नहीं है दर्द की ज़ंजीर का।
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⧪⧪हर ज़ख़्म किसी ठोकर की मेहरबानी है;
मेरी ज़िंदगी की बस यही एक कहानी है;
मिटा देते सनम के हर दर्द को सीने से;
पर ये दर्द ही तो उसकी आखिरी निशानी है⧭⧭⧭
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ज़रूरी नहीं कि जीने का कोई सहारा हो;
ज़रूरी नहीं कि जिसके हम हों वो भी हमारा हो;
कुछ कश्तियाँ डूब जाया करती हैं;
ज़रूरी नहीं कि हर कश्ती के नसीब में किनारा हो।
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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना;
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
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रौशनी करता हूँ अँधेरा मिटाने के लिए;
शराब पीता हूँ मैं तुझको भुलाने के लिए;
क्यों न बन सकी तुम मेरी ज़िंदगी;
आज भी रोता हूँ सोच कर गुज़रे ज़माने के लिए।
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ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है;
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है।
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⧪⧪फुर्सत किसे है ज़ख्मों को सरहाने की;
निगाहें बदल जाती हैं अपने बेगानों की;
तुम भी छोड़कर चले गए हमें;
अब तम्मना न रही किसी से दिल लगाने की⧭⧭⧭
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आज उसने एक और दर्द दिया तो खुदा याद आया;
कि हमने भी दुआओं में उसके सारे दर्द माँगे थे।
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आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है;
जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है।

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चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ;
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ।

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कांच के दिल थे जिनके उनके दिल टूट गए;
हमारा दिल था मोम का पिघलता ही चला गया।
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मेरे दिल का दर्द किसने देखा है;
मुझे बस खुदा ने तड़पते देखा है;
हम तन्हाई में बैठे रोते हैं;
लोगों ने हमें महफ़िल में हँसते देखा है।
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उसे कह दो वो मेरा है किसी और का हो नहीं सकता;
बहुत नायाब है मेरे लिए वो कोई और उस जैसा हो नहीं सकता;
तुम्हारे साथ जो गुज़ारे वो मौसम याद आते हैं;
तुम्हारे बाद कोई मौसम सुहाना हो नहीं सकता।
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⧪महफ़िल भी रोयेगी, महफ़िल में हर शख्स भी रोयेगा;
डूबी जो मेरी कश्ती तो चुपके से साहिल भी रोयेगा;
इतना प्यार बिखेर देंगे हम इस दुनिया में कि;
मेरी मौत पे मेरा क़ातिल भी रोयेगा⧭⧭⧭⧭
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मरहम न सही कोई ज़ख्म ही दे दो ऐ ज़ालिम;
महसूस तो हो कि तुम हमें अभी भूले नहीं हो।
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अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ;
इस दिल की झील सी आँखों में एक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ;
यह हिज्र-हवा भी दुश्मन है उस नाम के सारे रंगों की;
वो नाम जो मेरे होंठों पर खुशबू की तरह आबाद हुआ।
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लोगों से कह दो हमारी तक़दीर से जलना छोड़ दें;
हम घर से खुदा की दुआ लेकर निकलते हैं;
कोई न दे हमें खुश रहने की दुआ तो भी कोई बात नहीं;
वैसे भी हमें खुशियां रास नहीं अक्सर इस वजह से लोग छूट जाते हैं।
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⧪कैसे बयान करें आलम दिल की बेबसी का;
वो क्या समझे दर्द आंखों की इस नमी का;
उनके चाहने वाले इतने हो गए हैं अब कि;
उन्हे अब एहसास ही नहीं हमारी कमी का⧭⧭⧭
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वो बेगानो में अपने, हम अपनों में अंजान लगते हैं;
हमारे खून की कीमत नहीं, उनके अश्कों के भी दाम लगते हैं।
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एक दिन की बात हो तो उसे भूल जाएँ हम;
नाज़िल हों दिल पे रोज़ बलाएँ तो क्या करें।
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हमारा ज़िक्र छोड़ो, हम ऐसे लोग हैं कि जिन्हे;
नफ़रत कुछ नहीं करती, मोहब्बत मार देती है।
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खून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे;
दिल नहीं मानता कौन दिल से कहे;
तेरी दुनिया में आये बहुत दिन रहे;
सुख ये पाया कि हमने बहुत दुःख सहे।
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आज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा है;
तेरे संग ना होना का मलाल कुछ ज्यादा है;
फिर भी काट रहे हैं जिए जाने की सज़ा यही सोचकर;
शायद इस ज़िंदगानी में मेरे गुनाह कुछ ज्यादा हैं।
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सोचते हैं सीख लें हम भी बेरुखी करना;
प्यार निभाते-निभाते लगता है हमने अपनी ही कदर खो दी।
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⧪⧪एक लफ्ज़ उनको सुनाने के लिए;
कितने अल्फ़ाज़ लिखे हमने ज़माने के लिए;
उनका मिलना ही मुक़द्दर में न था;
वर्ना क्या कुछ नहीं किया उनको पाने के लिए⧭⧭
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⧪दर्द है दिल में पर इसका एहसास नहीं होता;
रोता है दिल जब वो पास नहीं होता;
बर्बाद हो गए हम उसके प्यार में;
और वो कहते हैं इस तरह प्यार नहीं होता🔝🔝🔝
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फ़लक देता है जिन को ऐश उन को ग़म भी होते हैं;
जहाँ बजते हैं नक़्क़ारे वहीं मातम भी होते हैं।
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दिल के दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल है;
टूट कर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल है;
किसी अपने के साथ दूर तक जाओ फिर देखो;
अकेले लौट कर आना कितना मुश्किल है।
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ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है;
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है।
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हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए;
गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए;
मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी;
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
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अनजाने में यूँ ही हम दिल गँवा बैठे;
इस प्यार में कैसे धोखा खा बैठे;
उनसे क्या गिला करें, भूल तो हमारी थी;
जो बिना दिल वालों से ही दिल लगा बैठे।
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⧪⧪बर्बाद कर गए वो ज़िंदगी प्यार के नाम से;
बेवफाई ही मिली हमें सिर्फ वफ़ा के नाम से;
ज़ख़्म ही ज़ख़्म दिए उस ने दवा के नाम से;
आसमान भी रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से⧭⧭
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
उसके ना होने से कुछ भी नहीं बदला मुझ में;
बस जहाँ पहले दिल रहता था वहाँ अब सिर्फ दर्द रहता है।
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तेरे इश्क़ में सब कुछ लुटा बैठे;
हम ज़िंदगी भी अपनी गँवा बैठे;
अब जीने की तमन्ना भी नहीं बाकी;
सारे अरमान हम अपने दफना बैठे।
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उसकी जफ़ाओं ने मुझे एक तहज़ीब सिखा दी है 'फ़राज़';
मैं रोते हुए सो जाता हूँ पर शिकवा नहीं करता।
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हर ख़ुशी के पहलू हाथों से छूट गए;
अब तो खुद के साये भी हमसे रूठ गए;
हालात हैं अब ऐसे ज़िंदगी में हमारी;
प्यार की राहों में हम खुद ही टूट गए।
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧪दुनिया में किसी से कभी प्यार मत करना;
अपने अनमोल आँसू इस तरह बेकार मत करना;
कांटे तो फिर भी दामन थाम लेते हैं;
⧪फूलों पर कभी इस तरह तुम ऐतबार मत करना⧭⧭
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⧭ठोकरें खा कर भी ना संभले तो मुसाफ़िर का नसीब;
⧭वरना पत्थरों ने तो अपना फर्ज़ निभा ही दिया⬲⬲
⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌⬌
⧭वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं;
जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं;
जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को;
कि हर कोई कहता है कि इस दर्द की कोई मरहम नहीं⬋⬋⬋

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