एहसासों की अगर जुबाँ होती मई 07, 2017 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप एहसासों की अगर जुबाँ होती; दुनियां फिर खूबसूरत कहाँ होती; लफ़्ज़ बन जातें हैं पर्दे जज़्बात के; अजी फिर कैसे ये मोहोब्बत बयाँ होती↶↶↶ टिप्पणियाँ
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