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#सज़ा# बन जाती है गुज़रे हुए वक़्त की निशानीयाँ...
ना जाने क्यूँ मतलब के लिए मेहरबान होते हैँ लोग----
 ‪हार की परवाह करता-तो मै जीतना छोङ देता-----
लेकिन -जीत- मेरी जिद है-और जिद का मै बादशाह हूँ#

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