शनिवार, दिसंबर 17, 2016

आई ज़िंदगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही


  1. मुझे को अब तुझ से भी मोहब्बत नहीं रही,
  2. आई ज़िंदगी तेरी भी मुझे ज़रूरत नहीं रही,
  3. बुझ गये अब उस के इंतेज़ार के वो जलते दिए,
  4. कहीं भी आस-पास उस की आहट नहीं रही.

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