↔ज़िन्दगी में कुछ गम जरुरी है
वर्ना खुदा को कौन याद करता
↔मिलता नसीब चाहने से तो
खुदा से फरियाद कौन करता
↔होता सुकून हर निगाह में तो
खुदा का दीदार कौन करता
वर्ना खुदा को कौन याद करता
↔मिलता नसीब चाहने से तो
खुदा से फरियाद कौन करता
↔होता सुकून हर निगाह में तो
खुदा का दीदार कौन करता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें